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हिमाचल-उत्तराखंड के बीच बसे इस गांव में जलप्रलय से मचा हाहाकार, रोजी-रोटी को तरस रहे ग्रामीण - हिमाचल में जलप्रलय का असर

शिमला जिले का सीमांत गांव कास्ठा, आराकोट से 5 किमी पहले बसा हुआ है, जहां पर अन्य जगहों की तरह नाले-गदेरों में आए उफान ने भारी तबाही मचाई. इस जलप्रलय में हिमाचल प्रदेश के कास्टा गांव निवासी चंद्रलाल ने अपना सब कुछ खो दिया और सीमांत होने का खामियाजा भुगत रहे हैं.

जलप्रलय में खो दिया अपना सब कुछ.

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Published : Aug 28, 2019, 1:46 PM IST

Updated : Aug 28, 2019, 3:47 PM IST

उत्तरकाशी: बीती 18 अगस्त की सुबह आई भीषण जलप्रलय ने ऐसी तबाही मचाई कि आराकोट बंगाण क्षेत्र के कई गांव में हाहाकार मच गया. जिला प्रशासन अभी भी खोज बचाव का कार्य कर रहा है. लेकिन, इस जलप्रलय की कुछ ऐसी कहानियां हैं जो अभी भी अछूती हैं. ऐसी ही कहानी त्यूणी और आराकोट के बीच बसे हिमाचल प्रदेश के कास्टा गांव निवासी चंद्रलाल की है, जिन्होंने इस जलप्रलय में अपना सब कुछ खो दिया और सीमांत होने का खामियाजा भुगत रहे हैं.

जलप्रलय में खो दिया अपना सब कुछ.

शिमला जिले का सीमांत गांव कास्टा, आराकोट से 5 किमी पहले बसा हुआ है, जहां पर अन्य जगहों की तरह नाले-गदेरों में आए उफान ने भारी तबाही मचाई. इस तबाही में कास्टा गांव के चंद्रसास की सारी जमीन बह गई. साथ ही गौशाला के साथ स्टोर में रखा पूरा सामान बह गया. चंद्रलाल ने बताया कि जमीन के नाम पर अब उनके पास एक भी टुकड़ा नहीं बचा है और उनके सामने आजीविका का कोई दूसरा साधन भी नहीं बचा हुआ है.

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चन्द्रलाल ने बताया कि जलप्रलय के तीसरे दिन उनके क्षेत्र में राजस्व उपनिरीक्षक आए और एक सरसरी रिपोर्ट बनाकर चले गए. लेकिन उसके बाद उन्हें देखने कोई नहीं आया है. जलप्रलय के बाद गांव में मूलभूत सुविधाओं का भी अकाल पड़ा हुआ है. इस कारण उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी मदद की जाए.

Last Updated : Aug 28, 2019, 3:47 PM IST

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