उत्तरकाशी: बफर जोन में वरुणावत पर्वत की तलहटी कौन खोद रहा है ये उत्तरकाशी में पहेली बन गई है. पहले कहा जा रहा था कि ये काम नगर पालिका की ओर से किया जा रहा है, लेकिन एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत मांगी गई जानकारी में नगर पालिका ने स्पष्ट किया कि इस सड़क का निर्माण उनके द्वारा नहीं किया जा रहा है. हालांकि, उत्तरकाशी अब जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान में खुद मामले का संज्ञान लिया है.
बफर जोन होने के बावजूद निर्माण जारी. जिलाधिकारी ने इस मामले में एसडीएम डुंडा को जांच के निर्देश दिए हैं और उन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने का कहा है. बता दें कि साल 2003 में वरुणावत पर्वत से भूस्खलन के बाद पर्वत का ट्रीटमेंट किया गया था, जिसके इसे बफर जोन घोषित करते हुए यहां किसी भी प्रकार के निर्माण कार्यों पर प्रतिबंधित लगा दिया गया था, लेकिन हाल में इसी बफर जोन में एक सड़क का निर्माण किया जा रहा है. जिसको लेकर भटवाड़ी रोड निवासी बुद्धि सिंह कुमाईं ने एक आरटीआई लगाई थी.
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कुमाईं ने कहा कि इसी साल मार्च के महीने में मानकों को ताक पर रखकर बफर जोन निर्माण शुरू हुआ था. उस समय उन्होंने नगर पालिका से इसकी शिकायत की. इसके बाद पालिका अध्यक्ष ने भी इस सड़क निर्माण का निरीक्षण किया था, बावजूद इसके इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने एसडीएम से भी मामले की शिकायत की. हालांकि, उस समय एसडीएम के काम रुकवा दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से निर्माण कार्य शुरू हो गया.
इसके बाद कुमाईं ने नगरपालिका में सूचना के अधिकार में सड़क निर्माण के बारे में पूछा. जिस पर नगर पालिका ने अपने जवाब में साफ दिया कि यह सड़क उनके द्वारा नहीं बनाई जा रही है, तो अब सवाल यहीं है कि आखिर इस सड़क का निर्माण कौन करवा रहा है. उत्तरकाशी में ये एक पहेली बना हुआ है. हालांकि, अब जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच का जिम्मा एसडीएम डुंडा को दिया है. जिलाधिकारी चौहान ने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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बता दें कि साल 2003 में वरुणावत पहाड़ी से हुए भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर नगर क्षेत्र में नुकसान पहुंचाया था. इसमें इसकी तलहटी में बनी सरकारी व गैर सरकारी संपत्तियां चपेट में आई थीं. प्रशासन ने उस समय पांच करोड़ की संपत्ति के नुकसान का आकलन किया था. उसके बाद वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट शुरू होने के साथ गोफियारा से तांबाखानी तक बफर जोन घोषित कर दिया. इसमे किसी भी तरह का नया निर्माण प्रतिबंधित है. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में भी वरुणावत पर्वत की तलहटी को अत्यधिक संवेदनशील बताने के साथ ही इस इलाके में भारी निर्माण रोकने के सुझाव दिए गए थे.