उत्तरकाशी:द्रौपदी का डांडा 2 में हुए हिमस्खलन में मारे गए सभी पर्वतारोहियों के शव 6वें दिन भी बेस कैंप से मातली हेलीपैड नहीं पहुंचाए जा सके हैं. इस कारण कई दिनों से यहां डेरा डाले परिजन खासे परेशान नजर आए. परिजनों ने प्रशासन के रेस्क्यू कार्य पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि इतने दिन हो गए अभी तक सभी शव लाए जाने चाहिए थे. माना कि मौसम खराब हुआ, लेकिन एक चक्कर में जितने शव आने चाहिए, उतने भी नहीं लाए जा रहे.
मातली पहुंचे दीपक पंवार, विनय आदि ने कहा कि बीते 4 अक्टूबर से शवों के पहुंचाए जाने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन हर दिन मौसम खराब होने का हवाला देकर कुछ ही शव ला जा रहे हैं. ऐसे में हम लोग परेशान हो गए हैं. वहीं निम के रजिस्ट्रार विशाल रंजन ने बताया कि खराब मौसम के बावजूद रेस्क्यू कार्य लगातार जारी है. घटनास्थल से बेस कैंप तक शवों को लाने में पूरा दिन लग जाता है.
विशाल रंजन ने बताया कि खराब मौसम के कारण भी हेलीकॉप्टर कभी कभार उचित जगह पर उड़ान नहीं भर पाता है. अगर पोर्टरों को शव ले जाने में ही लगाएंगे तो रेस्क्यू कार्य रूक जाएगा. इसलिए जैसे-जैसे घटनास्थल से शवों को रिकवर किया गया है, उन्हें बेस कैंप तक पहुंचाने के बाद हेलीकॉप्टर से वापस भेजा गया. एक बार में हेलीकॉप्टर में कितने शव जाएंगे ये उसमें बैठने वाले लोगों की संख्या पर निर्भर करता है.
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29 में से 27 शव निकाले गए:आज रविवार सुबह हिमस्खलन (Uttarkashi Avalanche) की चपेट में आए 29 में से 27 शव निकाल लिए गए हैं. हालांकि, जिला मुख्यालय 11 शव ही पहुंचाए गए हैं. वायु सेना का विमान आज रविवार सुबह शेष 16 शवों को लाने के हेली बेस कैंप के लिए रवाना हुआ, जिनमें से 10 शव मातली हेलीपैड लाए गए हैं, जबकि दो लापता प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की खोजबीन अभी भी जारी है.