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गंगोत्री नेशनल पार्क में दिखाई दे रही दुर्लभ हिमालयन ब्लू शिप - भरल

भरल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली की भेड़ की एक प्रजाति है. जो कि करीब 3500 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में देखने को मिलती है. वहीं, इस साल ये भरल गंगोत्री नेशनल पार्क में पर्यटकों को यह आसानी से दिखाई दे रहे हैं. जिसके चलते पार्क प्रशासन भी आश्वस्त नजर आ रहा है.

हिमालयन ब्लू शिप.

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Published : Jul 2, 2019, 5:50 PM IST

उत्तरकाशी:गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत गंगोत्री घाटी सहित नेलांग घाटी में भरल जिसे 'हिमालय ब्लू शिप' भी कहा जाता है. इनदिनों पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण बना हुआ है. हिमालय ब्लू शिप अमूमन 3500 मीटर की ऊंचाई से ऊपर के क्षेत्रों में देखने को मिलती है. साथ ही हिमालय के स्नो लेपर्ड का यह पसन्दीदा भोजन होता है. यह कहना अपवाद नहीं होगा कि स्नो लेपर्ड अगर हिमालय में जिंदा है तो वह भरल के कारण ही है. अमूमन यह निचले इलाकों में बहुत कम देखने को मिलता है. लेकिन इस साल हिमालयन ब्लू शिप को निचले इलाकों में भी देखा जा सकता है.

गंगोत्री नेशनल पार्क में दिखाई दे रही दुर्लभ हिमालयन ब्लू शिप.

गंगोत्री नेशनल पार्क का क्षेत्र उत्तरकाशी में भैरों घाटी से शुरू होता है. यह गंगोत्री घाटी से नेलांग घाटी तक करीब 2,390 वर्ग किमी में फैला हुआ है. जहां यह घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दर्शनीय है. साथ ही इस घाटी में पाए जाने वाले जंगल जानवर भी किसी आकर्षण से कम नहीं है, क्योंकि यह करीब 3500 मीटर की ऊंचाई से अधिक क्षेत्रों में ही पाई जाते हैं. इसलिए यह बहुत कम दिखाई देते हैं. ऐसी ही एक प्रजाति है भरल, जो अमूमन झुंड में चलते हैं. इस साल भरल प्रजाति का झुंड निचले इलाकों में 2500 मीटर तक देखने को मिल रहा है. जो गंगोत्री धाम आने वाले पर्यटकों के आर्कषण का केंद्र बना हुआ है.

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वहीं, गंगोत्री सहित गौमुख और तपोवन यात्रा के दौरान भरल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं. हालांकि, गंगोत्री नेशनल पार्क के इनकी गिनती सार्वजनिक नहीं करता है. लेकिन इस साल पार्क में यह भरल बहुतायत में दिखाई दे रहे हैं. जिसके चलते पार्क के अधिकारी भी आश्वस्त नजर आ रहे हैं.

गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक नंदा वल्लभ शर्मा ने का कहना है कि विगत दो वर्षों से भरल आम लोगों को देखने को नहीं मिला था. लेकिन इस बार ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी के कारण भरल के झुंड कनखू बैरियर सहित भोजवासा और चीड़बासा के आसपास भी देखने को मिल रहा है. साथ ही Etv bharat के कैमरे में भरल करीब 2500 मीटर की ऊंचाई पर सोनगाड़ के आसपास भरल भगीरथी नदी किनारे कैद हुए हैं. यह गर्मियों में कई बार पानी की खोज में भी निचले इलाकों तक पहुंच जाते हैं. शर्मा ने कहा कि स्नो लेपर्ड और भरल एक दूसरे के पूरक हैं.

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