कुश-कल्याण बुग्याल में पर्यटकों की आमद बढ़ी उत्तरकाशी: उत्तराखंड का कुश-कल्याण बुग्याल इन दिनों पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है. कुश-कल्याण बुग्याल उत्तरकाशी जिले में 3500 मीटर की ऊंचाई पर फैला हुआ है. इस साल अप्रैल माह में कुश-कल्याण बुग्याल में 100 से अधिक पर्यटक देश-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पहुंच चुके हैं. वहीं, पर्यटकों की अच्छी आमद देख स्थानीय युवाओं के चेहरे खिल उठे हैं. स्थानीय लोगों को इससे रोजगार का अवसर मिल रहा है. बता दें कि कुश-कल्याण बुग्याल और इसके आसपास का क्षेत्र अपनी खूबसूरती के साथ ही धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
उत्तरकाशी जिले के नाल्ड-कठूड़ क्षेत्र अंतर्गत आने वाला कुश-कल्याण बुग्याल करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह भटवाड़ी विकासखंड के सिल्ला गांव से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित है. हालांकि, कुश-कल्याण बुग्याल को पर्यटन मानचित्र पर वह पहचान नहीं मिल पाई है, जिसका वह हकदार है, लेकिन उसके बाद भी स्थानीय युवाओं के प्रयास से यहां पर पर्यटकों की इस साल अच्छी आमद देखने को मिल रही है.
सिल्ला गांव के पर्यटन व्यवसायी विनोद रावत ने बताया इस साल कुश-कल्याण बुग्याल में देहरादून से आए पर्यटकों का पहला दल पहुंचा था. उसके बाद से यहां पर विभिन्न ट्रैकिंग एजेंसियों के माध्यम से ट्रैकर्स पहुंच रहे हैं. 100 से अधिक पर्यटक कुश-कल्याण का दीदार कर चुके हैं. ट्रैकिंग गाइड दीपक सिंह और गजेंद्र सिंह ने बताया कुश-कल्याण बुग्याल में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले फूलों की भरमार है.
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कुश-कल्याण बुग्याल से ऊंची-ऊंची बर्फीली पहाड़ियों के सुबह सूर्योदय का नजारा बहुत ही खूबसूरत दिखता है. जो पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही है. जिस प्रकार से पर्यटक कुश-कल्याण का रुख कर रहे हैं, उससे स्थानीय निवासियों को आजीविका का एक सशक्त साधन मिल गया है. गाइडिंग के साथ ही घोड़ा-खच्चर व्यवसायी को भी अच्छा लाभ हो रहा है. विनोद रावत ने कहा प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग को कुश-कल्याण बुग्याल को विकसित करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए.
कुश-कल्याण बुग्याल और इसके आसपास के क्षेत्र का धार्मिक महत्व भी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडव अपने वनवास के समय यहां पर आए थे, जिसके प्रमाण कुश-कल्याण बुग्याल से पहले घोड़ाखुर स्थान पर मिलते हैं. यहां पर घोड़े के खुर के साथ ही धनुष के आकार के निशान मिलते हैं. इसके साथ ही कुश-कल्याण बुग्याल से करीब 10 किमी ट्रैकिंग करने के बाद पांडवसेरा पहुंचा जाता है. जहां पर पांडवों की खेती के रूप में अभी भी तालाब मौजूद हैं. मान्यता हैं कि यहां पहले पांडवों के खेत हुआ करते थे, जिन्होंने अब तालाब का रूप ले लिया है.