उत्तरकाशीःहिमस्खलन हादसे में लापता 2 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) द्रौपदी का डांडा 2 चोटी के समिट कैंप पर पहुंचा दिया गया है. निम के अधिकारियों की मानें तो जीपीआर के इस्तेमाल के लिए रेस्क्यू टीम के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया है. अब जीपीआर की मदद से लापता पर्वतारोहियों की तलाश शुरू की जाएगी.
बीती चार अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा 2 चोटी आरोहण के दौरान निम के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स से जुड़े 29 सदस्य हिमस्खल की चपेट में आ गए थे. हादसे के बाद 27 के शव बरामद किए गए, जबकि नौसेना में नाविक विनय पंवार और लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक वशिष्ठ हादसे के 21 दिन बाद भी लापता चल रहे हैं. दोनों की तलाश के लिए निम ने तकनीकी मदद लेते हुए बैंगलुरु से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) मंगवाया है.
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि जीपीआर को सोमवार को बेस कैंप पहुंचाया गया था. जिसके बाद इसे समिट कैंप पहुंचा दिया गया है. जीपीआर के साथ आए एक ऑपरेटर ने इसके इस्तेमाल को लेकर रेस्क्यू टीम में शामिल निम, हाई एल्टीट्यूट वॉर फेयर स्कूल (हॉज) और सेना के करीब 14 जवानों को प्रशिक्षण दिया है. उन्होंने बताया कि जीपीआर की मदद से लापताओं की तलाश की जाएगी. उन्होंने चार-पांच दिनों में लापता पर्वतारोहियों के मिलने की उम्मीद जताई.
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