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ऐसे कैसे बनेगा डिजिटल इंडिया सरकार! टावर तो लगा दिए, पर नेटवर्क गायब

उत्तरकाशी जिला सामरिक दृष्टि और चारधाम समेत पर्यटन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जिला है. उसके बावजूद आज भी जिले के कई ऐसे दूरस्थ क्षेत्र हैं, जहां पर दूरसंचार सुविधाएं दम तोड़ रही हैं. कई स्थानों पर मोबाइल टावर तो लगे हैं, लेकिन वे मात्र शो पीस बनकर रह गए हैं.

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नेटवर्क सुविधा

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Published : Feb 6, 2020, 8:35 PM IST

Updated : Feb 6, 2020, 9:08 PM IST

उत्तरकाशीः भले ही देश आज 5G नेटवर्क की ओर तेजी से बढ़ रहा हो, लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में संचार सुविधा नहीं पहुंच पाई है. इसकी बानगी सीमांत जनपद उत्तरकाशी के कई गांवों में देखने को मिल रही है. जहां पर ग्रामीणों के पास मोबाइल फोन तो है, लेकिन फोन में नेटवर्क नहीं है. हालांकि, कई जगहों पर मोबाइल टावर तो लगे हैं, लेकिन ये टावर ज्यादातर काम नहीं करते हैं. जिससे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

सीमांत जनपद उत्तरकाशी की बात करें तो यह सामरिक दृष्टि और चारधाम समेत पर्यटन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जिला है. उसके बावजूद आज भी जिले के कई ऐसे दूरस्थ क्षेत्र हैं, जहां पर दूरसंचार सुविधाएं दम तोड़ रही हैं. कई स्थानों पर मोबाइल टावर तो लगे हैं, लेकिन वे मात्र शो पीस बनकर रह गए हैं. आलम ये है कि जिला मुख्यालय के आसपास के भी कई इलाकों में भी लोग दूरसंचार सुविधा के लिए तरस रहे हैं.

नेटवर्क सुविधा से वंचित कई गांव.

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जनपद में दूरसंचार की सबसे ज्यादा दिक्कतें सीमांत मोरी ब्लॉक में हैं. जहां पर आज भी 40 से 42 गांव में दूरसंचार सुविधा नाम मात्र की है. इसका एक उदाहरण आपदा ग्रस्त आराकोट बंगाण क्षेत्र का है. जहां बीते साल अगस्त महीने में बादल फट गया था. जिसने काफी तबाही मचाई थी. इस तबाही में कई लोग काल के गाल में समा गए थे. जबकि, कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं.

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उस दौरान बादल फटने की जानकारी ग्रामीणों ने हिमाचल के नेटवर्क के जरिए दी थी. क्योंकि, आपदा ग्रस्त ये इलाका हिमाचल बॉर्डर से सटा हुआ है. जो भी सूचनाओं का समन्वय होता है वो हिमाचल के मोबाइल टावरों के जरिए होता है. बंगाण घाटी में करीब 14-15 गांव हैं, जहां पर कहने को तो BSNL का एक टावर लगा है, लेकिन ज्यादातर बंद ही रहता है. मौसम खराब होने पर तो नेटवर्क ही गायब रहता है.

उधर, मोरी ब्लॉक के पर्वत क्षेत्र, पुरोला के सरबडियार क्षेत्र, भटवाड़ी के पिलंग समेत अन्य गांवों में आज भी नेटवर्क की समस्या है. यहां पर लोग इंटरनेट की तो दूर की बात, फोन पर बात करने के लिए भी गांव से दूर ऊंचाई वाले इलाकों में जाते हैं. तब जाकर फोन पर नेटवर्क मिल पाता है और अपने संगे संबंधियों से बात कर पाते हैं.

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दूरसंचार की सुविधाएं न होने के कारण किसी भी आपातस्थिति में या बरसात और बर्फबारी के दौरान ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि आज दुनिया 5G नेटवर्क के साथ आगे बढ़ रही है, लेकिन यहां कई गांव संचार सुविधा से वंचित है. जबकि, सरकार डिजिटल इंडिया की बात कहकर अपनी पीठ थपथपाने का काम करती है. लिहाजा, डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को संचार सुविधा जोड़ने की जरुरत है.

Last Updated : Feb 6, 2020, 9:08 PM IST

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