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उत्तरकाशी आपदाः आराकोट बंगाण क्षेत्र में कम नहीं हुई परेशानी, संचार समेत अन्य सुविधाएं पूरी तरह ठप

उत्तरकाशी के सीमांत मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र में रविवार को आई जलप्रलय से 13 से 14 गांव प्रभावित हैं. जहां पर शासन प्रशासन की टीम एसडीआरएफ के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी है. वहीं, क्षेत्र में संचार, विद्युत, पेयजल, सड़क समेत अन्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से ठप हैं.

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Published : Aug 20, 2019, 7:18 PM IST

Updated : Aug 20, 2019, 8:50 PM IST

उत्तरकाशीःसीमांत मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र में आई आपदा के बाद अभी भी परेशानी कम नहीं हुई है. प्रशासन की टीम लगातार बचाव और राहत के काम में जुटी है. बादल फटने की घटना के बाद क्षेत्र के 13 से 14 गांव पूरी तरह से प्रभावित हैं. इन गांवों में घटना के तीसरे दिन भी संचार और विद्युत व्यवस्था बहाल नहीं हो पाई है. मात्र आराकोट बेस कैंप में ही संचार सुविधा सुचारू है. कई जगहों पर सड़कें भी टूट और बह गई हैं. ऐसे में पूरा क्षेत्र मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ा हुआ है.

आपदा से बढ़ी लोगों की परेशानी.

बता दें कि बीते रविवार तड़के मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जहां पर बारिश ने जमकर कहर बरपाया था. माकुड़ी गांव में कुछ मकान जमींदोज गए. जिसमें कई लोग जिंदा दफन हो गए थे. साथ ही कुछ लोग लापता हो गए थे. वहीं, माकुड़ी नाले के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन और घर बह गए थे.

पब्बर नदी के उफान पर आने से आराकोट में भी भारी तबाही मची. जिसमें कई लोग बह गए थे. वहीं, आराकोट में बेस कैंप बनाया गया है. जहां पर डीएम डॉ. आशीष चौहान मौजूद हैं. आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ समेत कई टीमों द्वारा युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है. उधर, घटना के तीसरे दिन भी क्षेत्र में संचार सुविधा सुचारू नहीं हो पाई है.

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यहां पर डगोली में एक बीएसएनएल का मोबाइल टावर भी लगा है. जो मौसम खराब होने पर काम करना बंद कर देता है. ऐसे में मोबाइल महज शोपीस बनकर रह जाते हैं. स्थानीय लोग इससे पहले भी कई बार शासन-प्रशासन को नेटवर्क की समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभीतक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. आपदा की घटना की जानकारी भी ग्रामीणों ने हिमाचल के नेटवर्क के जरिए दी थी.

संचार सुविधा ध्वस्त होने से क्षेत्र से बाहर रहने वाले लोगों का अपने गांवों से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है. साथ ही पेयजल सुविधा पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. लोगों के आय का मुख्य जरिया काश्तकारी और बागवानी है. बारिश से सेब की फसल तबाह हो गई है. ऐसे में आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है. विद्युत व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप है.

Last Updated : Aug 20, 2019, 8:50 PM IST

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