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मातली गांव में ITBP और ग्रामीणों के बीच रास्ते को लेकर विवाद, HC ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब - उत्तराखंड हाईकोर्ट

उत्तरकाशी जिले के मातली गांव में आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) और ग्रामीणों के बीच चल रहे रास्ते के विवाद पर बुधवार 19 अप्रैल को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में चार हफ्तों के अंदर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. ग्रामीणों का कहना है कि आईटीबीपी उन्हें रास्ता नहीं दे रही है, जिस वजह से उनके बच्चों को स्कूल, मंदिर और घाट जाने में परेशानी हो रही है.

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Published : Apr 19, 2023, 4:24 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी जिले के मातली गांव में आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) की ओर से ग्रामीणों का मंदिर, स्कूल व घाट जाने का रास्ता बंद किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने आईटीबीपी, राज्य सरकार, केंद्र सरकार, जिला अधिकारी व उपजिला अधिकारी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

इस मामले को लेकर मातली गांव निवासी रामलाल नौटियाल, परवीन नौटियाल, विनोद प्रकाश नौटियाल और राम किशन नौटियाल ने जनहित याचिका उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की थी. जनहित याचिका में उन्होंने कहा था कि उनके ग्राम की कृषि भूमि को आईटीबीपी ने अधिग्रहण कर वहां पर अपना कैम्प, ऑफिस और स्टाफ क्वार्टर बनाया था.
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याचिकाकर्ताओं के मुताबिक उस समय आईटीबीपी और ग्रामीणों के बीच समझौता हुआ था कि उनके लिए मंदिर, स्कूल व घाट जाने का रास्ता बनाया जाएगा, जिसमें कोई रोकटोक नहीं होगी. ग्रामीणों का कहना है कि जब सारा काम पूरा हो गया तो आईटीबीपी ने पूरे क्षेत्र को चारदिवारी से बंद कर दिया. एक रास्ता उनके लिए स्कूल, मंदिर, घाट जाने के लिए पेट्रोल पंप के पास बनाया गया था, लेकिन बाद में उसे भी बंद कर दिया गया.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि रास्ता बंद होने से ग्रामीणों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आए दिन ग्रामीणों व उनके बच्चों की स्कूल जाते वक्त चेकिंग की जाती है. इसको लेकर ग्रामीणों ने एक वाद जिला न्यायालय उत्तरकाशी में दायर किया था, जहां आईटीबीपी ने कहा था कि वो ग्रामीणों के लिए वही रास्ता खोल रहे हैं. उनके इस कथन पर वाद वापस लिया गया. वाद वापस लेने के तुरंत बाद रास्ता फिर से बंद कर दिया, जिसको लेकर ग्रामीणों ने अब उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि उनका रास्ता खोला जाये.

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