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कलादीर्घा का उद्घाटन शुक्रवार को करेंगे CM त्रिवेंद्र, हिमालय की खूबसूरती यहां कैमरे में है कैद - Takanor and Harshil Valley Culture

स्वामी ने गंगोत्री धाम से लेकर उपला टकनोर और हर्षिल घाटी की संस्कृति और खूबसूरती को कैमरे में कैद किया है. जिनसे हिरण्यगर्भ कलादीर्घा एक संग्रहालय का रूप ले चुका है. शुक्रवार को सीएम त्रिवेंद्र रावत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत गंगोत्री धाम में कलादीर्घा का शुभारंभ करेंगे.

हर्षिल घाटी की खूबसूरती यहां कैमरे में है कैद .

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Published : Sep 11, 2019, 10:48 PM IST

उत्तरकाशी:उच्च हिमालय की दुर्लभता और उत्तरकाशी के उपला टकनोर की संस्कृति को स्वामी सुंदरानंद की तस्वीरों में देखा जा सकता है. जी हां, गंगोत्री धाम के स्वामी सुंदरानंद की तपोवन हिरण्यगर्भ कलादीर्घा में हिमालय के दर्शन फोटोग्राफ के रूप में हो सकते हैं. यह सब 94 वर्षीय स्वामी सुंदरानंद की 1948 से अभी तक की तपस्या का ही फल है. जिसके चलते यह संभव हो पाया है. शुक्रवार को सीएम त्रिवेंद्र रावत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत गंगोत्री धाम में कलादीर्घा का उद्घाटन करेंगे. जिसके बाद आम जनता इन सुंदर चित्रों को देख सकती है.

बता दें कि स्वामी ने गंगोत्री धाम से लेकर उपला टकनोर और हर्षिल घाटी की संस्कृति और खूबसूरती को कैमरे में कैद किया है. जिनसे हिरण्यगर्भ कलादीर्घा एक संग्रहालय का रूप ले चुका है. जिसे स्वामी सुंदरानंद ने आरएसएस को सौंप दिया है. शुक्रवार को सीएम त्रिवेंद्र रावत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत गंगोत्री धाम में कलादीर्घा का उद्घाटन करेंगे.

कलादीर्घा का उद्घाटन करेंगे करेंगे CM.

गौरतलब है कि स्वामी सुंदरानंद वर्षों से गंगा और हिमालय के संरक्षण का कार्य कर रहे हैं और अभी भी 94 वर्ष की उम्र में गंगोत्री धाम आने वाले यात्रियों और पर्यटकों को पर्यावरण और पर्वतारोहण के बीच में सामंजस्य बनाने की जानकारी देते हैं. स्वामी सुंदरानंद ने पूरे गंगोत्री हिमालय क्षेत्र का भ्रमण किया है. फोटोग्राफी के शौकीन स्वामी सुंदरानंद ने हिमालय के हर पहलू को तस्वीरों में कैद किया है. जिसे अब उन्होंने पटांगिनी पहाड़ी पर तपोवन हिरण्यगर्भ कलादीर्घा में तीन मंजिला संग्रालय का निर्माण कर उसमें आने वाली पीढ़ी के लिए संजोकर रखा है. स्वामी सुंदरानंद ने इस तीन मंजिला संग्राहलय को आरएसएस को सौंप दिया है.

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स्वामी सुंदरानंद ने बताया कि जिस प्रकार हिमालय का दोहन हो रहा है. उस हिसाब से तो आने वाली पीढ़ी हिमालय के दर्शन के लिए तरसेगी. जिसके चलते आने वाली पीढ़ी के लिए उन्होंने इसका संग्रहण किया है.

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