पुरोला: उत्तराखंड और पलायन का रिश्ता काफी पुराना है. यहां के युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपना घर और राज्य छोड़ दूसरे प्रदेश में कमाने चले जाते हैं. प्रदेश के अधिकतर युवा रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर जाते हैं. नतीजतन कभी गुलजार रहने वाले पहाड़ धीरे-धीरे वीरान होते चले गए. हालांकि, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच लाखों की संख्या में प्रवासी अपने घर लौटे हैं. लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है. रोजगार के बिना किसी के लिए भी जीवन यापन करना मुश्किल है. इन सबके बीच कोका कोला इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी की एक पहल यहां के नौजवानों की तकदीर बदल सकती है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...
नौजवानों को मिलेगा रोजगार
उत्तराखंड का नौजवान रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर जाता है. प्रदेश में किसी भी सरकार ने नौजवानों को कृषि, बागवानी से जोड़ने की पहल नहीं की. नतीजा पहाड़ के युवा पहाड़ की पानी की तरह ही पहाड़ के काम नहीं आते हैं. लेकिन अब कोका कोला इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी की एक पहल यहां के युवाओं की किस्मत बदल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी दोनों ही पहाड़ के काम आएंगे. साथ ही प्रदेश में युवाओं को रोजगार मिलेगा, जिससे प्रदेश में पलायन की समस्या पर भी रोक लगेगी.
कोका कोला इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी की पहल
कोका कोला इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी सेब की बागवानी की जरिए यहां के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की कोशिश कर रही है. ऐसा दावा है कि यहां के नौजवान सेब की बागवानी से जुड़कर एक साल में ही लाखों रुपये कमा सकते हैं. उत्तरकाशी जिले के पुरोला, मोरी, नौगांव, भटवाड़ी विकास खण्डों के 170 से अधिक किसान एक साल में कोका कोला इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी की मदद से सेब की बागवानी कर सालाना 3 से 5 लाख रुपए तक की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
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