सितारगंज: उत्तराखंड में जब दुर्गम क्षेत्रों की बात की जाती है तो सबसे पहले जहन में पहाड़ की तस्वीर उभर कर आती है. लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि उधम सिंह नगर जिले की सितारगंज विधानसभा में एक ग्राम सभा ऐसी भी है, जिसे अति दुर्गम भी कहा जाय तो गलत नहीं होगा. हम बात कर रहे हैं शक्तिफार्म के अरविंद नगर ग्राम सभा की.
अरविंद नगर ग्राम सभा की स्थिति पहाड़ में स्थित किसी दुर्गम गांव के जैसी ही है, जहां न तो जाने लिए सड़क, न पीने के लिए और न ही शौचालय की कोई व्यवस्था. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जिंदगी गुजर बसर करनी पड़ रही है.
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गांव से शहर आने के लिए ग्रामीणों को नदी पार करनी पड़ती है. हैरानी कि नदी पार करने के लिए सिर्फ बल्ली लगाई गई है. इसी के सहारे ग्रामीण नदी को पार करते हैं. स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को भी इसी बल्ली के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. गांव को शहर से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भी कीचड़ के कारण दलदल में तब्दील हो चुका है. ईटीवी भारत की टीम भी इसी रास्ते से जान जोखिम से डालकर अरविंद नगर ग्राम सभा पहुंची.
ग्रामीणों को मुताबिक सन 1964 में सरकार ने 40 परिवारों को यहां जगह अलॉट की थी. तब से आजतक विकास के नाम पर लोगों को कुछ नहीं मिला. निवर्तमान ग्राम प्रधान भवतोष आचार्य ने इस बार अपनी पत्नी की मैदान में उतारा है, लेकिन ग्रामीणों ने निवर्तमान ग्राम प्रधान पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं.
यहां विकास के नाम पर हुआ सिर्फ घोटाला ग्रामीणों का आरोप है कि कई घर में अभीतक शौचालय नहीं बनाए गए है और जिन घरों में शौचालय बनाए गए हैं, उनमें भी कई कमियां है. शौचालय बनाने के लिए जिन्हें 12 हजार रुपए मिले थे वो भी ग्राम प्रधान ने वापस ले लिए. घर में शौचालय नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. गांव के सभी घरों में शौचालय भले ही न हो, लेकिन खुले में शौच मुक्त अरविंद नगर ग्राम सभा बोर्ड यहां जरूर लगा है.
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आरटीआई के जरिए एक और खुलासा हुआ है. जिसमें वार्ड नंबर 13 में बनाई गई सड़क का 2016 से 2018 तक 6 बार भुगतान हो चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि ये सड़क दो हिस्सों में बनाई गई है. उसी का नाम बदलकर 6 बार भुगतान हो चुका है, जो कि जांच का विषय है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक नलकूप लगवाने में भी बड़ा घोटाला किया गया है. जिसमे प्रति नलकूप की लागत से दो गुना पैसा स्वीकृत कराया गया. जिसका आधार जमीन में पत्थर होने की वजह से भारी मशीनों द्वारा ड्रिलिंग करवाना दर्शाया गया है.
जब इस बारे में बीडीओ सितारगंज हरीश चंद जोशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी. यदि कोई दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.