काशीपुर: कहानी काशीपुर की रहने वाली संगीता की है, जो बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपने हौसलों के दम पर आज महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं. भाई की बीमारी व बड़ी बहन पर आये आर्थिक संकट के कारण आज संगीता ई-रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं. अपनी मेहनत और मजबूत इरादों से संगीता ने अपने परिवार की तस्वीर बदल दी है. संगीता के संघर्षों की कहानी सुनते हैं उन्हीं की जुबानी.
बुलंद हौसलों की मिसाल बनी काशीपुर की बेटी रामनगर के छोई में रहने वाले राम सिंह भंडारी के आठ बच्चों में संगीता चौथे नंबर की बेटी है. साल 2010 में पिता ने बड़ी बहन अनीता का विवाह काशीपुर में कर दिया. शादी के बाद अनीता को दो बेटियां हुईं. कुछ समय बाद अनीता के पति का भी देहांत हो गया. संगीता आर्थिक संकट से गुजर ही रही थी कि उनके भाई की तबीयत खराब हो गई. पिता पर आर्थिक बोझ पहले से ही था. ऐसे में संगीता ने आगे बढ़कर इस आर्थिक संकट से लड़ने का फैसला किया और भाई को साथ लेकर काशीपुर अपनी बहन अनीता के यहां आ गई.
इस दौरान संगीता ने विवाह भी किया लेकिन भाई की बीमारी व बहन की परेशानी, उसकी निजी जिंदगी में आड़े आ गई. संगीता का पति से आए दिन झगड़ा होने लगा. आखिर उसने अपने पति को छोड़ दिया और अपने भाई-बहन और गांव में रह रहे मां-बाप के पालन- पोषण का जिम्मा लिया और काशीपुर आ गई.
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काशीपुर में उसने पहले संगीता की बहन के साथ चाय की दुकान खोली लेकिन दुकान से संगीता की आर्थिक तंगी दूर नहीं हुई. संगीता बताती है कि इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का एक भाषण सुना जिसमें उन्होंने बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी थी. पीएम के इस भाषण का संगीता पर प्रभाव डाला और उन्होंने हिम्मत कर किश्तों में ई-रिक्शा खरीद लिया. आज सुनीता काशीपुर में ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने में जुटी है. संगीता कहती है कि ई-रिक्शा चलाने के दौरान लोग उन्हें देखकर हंसते हैं. उन पर कमेंट करते हैं लेकिन वह परवाह किये बिना आगे बढ़ती रहती हैं.