दिव्यांग क्रिकेटर दीपक कुमार के हौसलों ने भरी उड़ान उधम सिंह नगर: अगर हौसले बुलंद हो तो मंजिल आसान हो जाती है. इस कहावत को दिव्यांग युवक दीपक ने कृतार्थ कर दिखाया है. अगर हौसलों में जान होती है, तो आदमी के लिए कोई भी नामुमकिन काम मुमकिन बन जाता है. दीपक का बचपन से ही क्रिकेटर बनने का शौक था. जिसके बाद दीपक ने क्रिकेट खेलना शुरू किया. दीपक खेल के मैदान में अच्छे बैट्समैन के साथ-साथ अच्छे कीपर भी हैं. बागेश्वर के खरेही पट्टी अंतर्गत आने वाले खरक टम्टा गांव निवासी दीपक कुमार टम्टा का चयन राष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के लिए हुआ है. दीपक कुमार जल्द ही दक्षिण अफ्रीका में होने वाली सीरीज में भारत के लिए प्रतिभा करेंगे.
दीपक ने बताया कि जब वे छोटे थे और विकलांग होने के बाबजूद क्रिकेट खेलते थे, तो कई लोग उनसे ये बोलते थे कि तू क्रिकेट क्यों खेल रहा है, लेकिन उन्होंने हार नही मानी. जिसका परिणाम आज है कि वो भारत का प्रतिनिधित्व कर दक्षिण अफ्रीका में होने वाले विकलांग क्रिकेट में बतौर ऑलराउंडर प्रतिभाग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक स्वर्गीय चंदन राम दास व उनके बेटे गौरब दास का आर्थिक सहयोग समय-समय पर मिलता रहा.
दीपक के पिताजी ने बताया कि में मेहनत-मजदूरी का कार्य करता हूं उनके चार बच्चे हैं. पहली बेटी दूसरे नंबर का दीपक जो कि दिव्यांग है. एक छोटी बेटी और एक बेटा है. दीपक बचपन से पढ़ाई लिखाई में भी बहुत अच्छा था. उन्होंने कहा कि मैंने दीपक को समझाया की तू सामान्य नहीं दिव्यांग हैं. क्रिकेट में तेरा भविष्य नहीं है, लेकिन दीपक नहीं माना वह खेलता गया. जब मैंने देखा कि दीपक क्रिकेट खेलने में माहिर है, तो मैंने इसका पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेल में भी सहयोग किया.
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काशीपुर वैशाली कॉलोनी निवासी दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष तारा सिंह अधिकारी ने बताया कि उनेक पास 150 दिव्यांग बच्चे हैं. उन्होंने देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर , हरिद्वार और देहरादून में मैच का आयोजन करवाया है. उन्होंने कहा कि दीपक कुमार की बैटिंग और किपनिंग बहुत अच्छी है . उनको देखकर बाकी दिव्यांग खिलाड़ी भी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दिव्यांग खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग नहीं मिल पा रहा है.
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