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काशीपुर राजकीय अस्पताल में गर्भवती महिला से पैसों की मांग, आशा वर्कर्स ने डॉक्टरों पर लगाए गंभीर आरोप - राजकीय अस्पताल में गर्भवती महिला से पैसे मांगे

काशीपुर का लक्ष्मण दत्त भट्ट राजकीय चिकित्सालय रिश्वतखोरी का अड्डा बन गया है. यहां गर्भवती महिला से डिस्चार्ज के नाम पर 6 हजार रुपये मांगे गए. सीएमएस डॉ. वी के टम्टा ने मामले की जांच करने की बात कही है.

राजकीय अस्पताल

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Published : Nov 9, 2019, 11:37 AM IST

काशीपुरः हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाला काशीपुर का लक्ष्मण दत्त भट्ट राजकीय चिकित्सालय एक बार फिर चर्चाओं में है. नगर के निकटवर्ती ग्राम गुलड़िया के रहने वाले एक परिवार की गर्भवती महिला से पैसे की मांग की गई. बताया जा रहा है कि ऑपरेशन के बाद उसे राजकीय चिकित्सालय से डिस्चार्ज किये जाने के नाम पर 6 हजार रुपये मांगे गए. जब यह मामला सीएमएस के पास पंहुचा तो उन्होंने जांच के आदेश दे दिये हैं.

राजकीय चिकित्सालय से डिस्चार्ज किये जाने के नाम पर 6 हजार रुपये मांगे गए

दरअसल, काशीपुर के ग्राम गुलड़िया के रहने वाले मुनव्वर की गर्भवती पत्नी शबाना को 4 नवम्बर को राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था. इस दौरान विभिन्न जांचों के बाद उसे बताया गया कि उसका प्रसव ऑपरेशन से किया जायेगा. शबाना का ऑपरेशन चिकित्सालय के एक सीनियर डॉक्टर द्वारा किया गया.

ऑपरेशन के बाद गर्भवती को पुत्र हुआ. जच्चा-बच्चा सकुशल होने पर बीती शाम के समय परिजनों को उपचाराधीन महिला को ले जाने को कहा गया. महिला के पति मुनव्वर का आरोप है कि इस दौरान उनके गांव की आशा कार्यकत्री रेशमा ने उनसे 6 हजार रुपये मांगे तथा पैसे दिए जाने के बाद ही महिला को डिस्चार्ज कराये जाने की बात कही.

जिस पर मुनव्वर ने मीडिया के समक्ष सीएमएस डॉ. बीके टम्टा से इस बावत शिकायत की. सीएमएस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत ही आशा कार्यकत्री रेशमा को अपने कार्यालय में बुलाया. जहां रेशमा ने मीडिया के समक्ष ही चिकित्सक द्वारा उक्त पैसे मांगे जाने की बात कही. इस दौरान वहां मौजूद एक अन्य आशा कार्यकत्री ने भी इस दौरान चिकित्सालय प्रशासन पर जमकर आरोप प्रत्यारोप लगाए.

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सीएमएस डॉ. वी के टम्टा ने मामले की जांच करने की बात कही है. वहीं आशा कार्यकत्री रेशमा से स्पष्टीकरण मांगा है. ताज्जुब की बात यह है कि इस तरह के आरोप इस चिकित्सालय में पूर्व में भी लगे हैं, बावजूद कार्रवाई ढाक के तीन पात ही रही.

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