काशीपुर:अभी तकआपने गाय, भैंस और बकरी के दूध के गुणों के बारे में तो खूब पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे दूध की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आप चौक जाएंगे. उससे भी ज्यादा आप तब हैरान रह जाएंगे, जब आपको पता चलेगा कि पालतू जानवर के दूध की बदौलत एक युवा ने स्टार्टअप किया है और काशीपुर में लगे स्टार्टअप मेले में बेस्ट साबित हुआ है. इनका नाम पूजा है और ये दिल्ली की रहने वाली हैं. पूजा कौल ने गधी (Donkey) के दूध से साबुन तैयार किया है.
काशीपुर में स्टार्टअप मेले में अनोखा साबुन बना चर्चा का विषय. दरअसल, काशीपुर के कुंडेश्वरी स्थित देश के अग्रणी शिक्षण संसथान आईआईएम में राज्य के सबसे बड़े स्टार्टअप इवेंट में देश के नामी स्टार्टअप मालिक अपने अभिनव उत्पादों की प्रदर्शनी लगाए हुए हैं. इन्हीं में से एक हैं दिल्ली की रहने वाली पूजा. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से ग्रेजुएशन करने के बाद पूजा ने एक ऐसा साबुन तैयार किया है जो काशीपुर में लगे स्टार्टअप एक्सपो में चर्चा का विषय है. पूजा ने बताया कि वे गधी के दूध से साबुन तैयार करती हैं, जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक है.
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पूजा ने बताया कि जो लोग गधों के पालन और उनके प्रजनन से जुड़े हैं, वो उनसे दूध खरीदकर साबुन तैयार करती हैं. दूध के साथ-साथ इस साबुन में प्राकृतिक संघटकों (Natural ingredients) यानी नीम, ऐलोवेरा, चंदन, पपीता पाउडर, बदाम का तेल, हल्दी आदि को मिलाया जाता है. जो त्वचा के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. पूजा ने बताया कि जब वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में पढ़ाई कर रहे थीं, तब उन्हें डेयरी सेक्टर में कुछ नया करने का प्रोजेक्ट दिया गया था. इस प्रोजेक्ट के दौरान उनके दिमाग में यह विचार आया, तब उन्होंने तमाम अध्ययन के बाद इसे स्टार्टअप के तौर पर शूरू किया.
साबुन कैसे तैयार करती हैं पूजा ?
पूजा कौल ने बताया कि इस तरह के दूध में 5 तरह के तेल मिलाकर साबुन बनाया जाता है. इसके साथ ही प्राकृतिक संघटकों (Natural ingredients) यानी नीम, ऐलोवेरा, चंदन, पपीता पाउडर, बदाम का तेल, हल्दी आदि को मिलाया जाता है. फिलहाल वे 2 तरह के साबुन तैयार कर रही हैं. पहला, जो गधी के दूध में शहद और चारकोल का इस्तेमाल करके बनाते हैं. जो ऑयली त्वचा के लिए लाभदायक होता है. दूसरा, ऐलोवेरा, चंदन, नीम, पपीता, हल्दी और कई तरह के तेलों का इस्तेमाल कर तैयार किया जाता है. जो नाजुक त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है.
पूजा के मुताबिक कि गधी के दूध से साबुन बनाना आसान नहीं, क्योंकि जो लोग गधी के पालन से जुड़े हैं, उन्हें समझाना पड़ता है. साथ ही दूध देने का समय सुबह 4 बजे से 6 बजे का होता है. उस दूध को सिर्फ 10 घंटे के अंदर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसलिए जिस दिन दूध निकालते है, उसका प्रोडक्शन भी उसी दिन करना होता है.
कई जगहों पर गधी का दूध 2000 से 3000 रुपये प्रति लीटर बिकता है. यानी एक चम्मच दूध की कीमत 50 से 100 रुपये है. पूजा ने बताया कि अभी फिलहाल वह गाज़ियाबाद के लोनी, डासना और महाराष्ट्र के सोलापुर से गधी का दूध खरीद रही हैं. इसलिए गधों का पालन करने वाले किसानों का आय भी बढ़ रहा है.
उनकी टीम में 6 सदस्य हैं जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं. पूजा कौल ने बताया कि सिर्फ साबुन ही ऑर्गेनिक नहीं है बल्कि, साबुन की पैकिंग पर खास ख्याल रखा गया है. पैकिंग भी पुरी तरह से इको फ्रेंडली है. सुपारी के पेड़ के छाल से साबुन का कवर तैयार किया गया है. जूट के बैग में साबुन को दिया जाता है.
मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह से स्टार्टअप को बढ़ावा दिया गया है, इसके कारण युवा नए-नए प्रयोग करने के लिए तैयार हैं. यही वजह है कि काशीपुर के आईआईएम में इसी तरह के अभिनव उत्पादों का निर्माण करने वाले 100 से अधिक स्टार्टअप मालिक जुटे हैं. जो देश के इस नए स्टार्ट अप संस्कृति को आगे ले जा सकते हैं. इसे लेकर युवाओं में भी खासा उत्साह नजर आ रहा है.