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टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से व्यू प्वाइंट और हेलीपैड डूबे, विभागों की भयंकर लापरवाही - टिहरी में जलस्तर बढ़ने से डूबा व्यू प्वाइंट

टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही के चलते ये दोनों व्यू प्वाइंट डूब चुके हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मानकों को ताक पर रखकर इस व्यू प्वाइंट को 835 आरएल मीटर के नीचे बनाया गया था. इस कारण करोड़ों की लागत से बनी सरकारी संपत्ति डूब गई.

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पर्यटन विभाग की खुली पोल

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Published : Sep 15, 2021, 9:50 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 8:18 PM IST

टिहरी: 25 मई 2018 को केंद्रीय वित्त पोषित स्वदेश दर्शन योजना के तहत तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह और टिहरी विधायक धन सिंह नेगी ने टिहरी झील के किनारे कोटी कॉलोनी में दो व्यू प्वॉइंट का लोकार्पण किया था. लेकिन झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही के चलते ये दोनों व्यू प्वाइंट डूब चुके हैं.

झील में डूबे 80 करोड़: स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम से लगभग 80 करोड़ की लागत से कई योजनाएं बनाई थीं. जिनमें यह व्यू प्वॉइंट भी था. टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने और पर्यटन विभाग की लापरवाही से व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड भी डूब गए हैं.

व्यू प्वाइंट और हेलीपैड डूबे

झील का जलस्तर 830 RL मीटर था, व्यू प्वाइंट फिर भी नीचे बनाया: वोट यूनियन के पूर्व अध्यक्ष लखबीर चौहान ने पर्यटन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा जब टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने का पहले से ही तय था तो आखिर विभाग ने सरकारी पैसे को बर्बाद करके 835 आरएल मीटर से नीचे यह संपत्ति क्यों बनाई. इन मामले की जांच होनी चाहिए.

830 RL मीटर पर ही डूब गए व्यू प्वाइंट: क्योंकि अभी तो 828 आरएल मीटर पानी आने से यह बुरा हाल है. जब 830 आरएल मीटर तक जलस्तर बढ़ेगा तो फिर आप समझ सकते हैं कि कितना बुरा हाल होगा. अगर 830 आरएल मीटर तक जलस्तर पहुंचता है तो पर्यटन विभाग द्वारा बनाए गए आस्था पथ, 2 व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड सब डूब जाएंगे.

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व्यू प्वाइंट निर्माण की जांच की मांग: लखबीर चौहान ने कहा कि जिसने भी यह योजना बनाई है, उसकी जांच होनी चाहिए. जब सभी को पता था कि टिहरी झील का जलस्तर 830 मीटर तक जाएगा तो कैसे पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने 835 मीटर से नीचे यह संपत्ति बनाई, जो डूब गई.

टीएचडीसी ने झाड़ा पल्ला: टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने बताया कि 835 मीटर से नीचे जितनी भी संपत्ति है, वह टिहरी बांध परियोजना की है. किसी भी विभाग द्वारा 835 आरएल मीटर से नीचे कोई भी सरकारी और अर्धसरकारी संपत्ति बनाता है और वह डूब जाती है तो उस पर टीएचडीसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है. न ही उस नुकसान का कोई मुआवजा देगी. जो भी विभाग 835 आरएल मीटर से नीचे कोई भी संपत्ति बनाता है तो उसकी जिम्मेदारी उसी विभाग की होगी.

पर्यटन अधिकारी का बचकाना जवाब: पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा जो व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड बनाए गए हैं, वह टिहरी झील के बढ़ते जलस्तर में डूब गए हैं. जब झील का जलस्तर कम होगा तो फिर पर्यटकों के काम आएगा. जब पर्यटन अधिकारी से पूछा गया कि यह योजना कितने की करोड़ की है, तो वो उसकी सही जानकारी नहीं दे सके. जब अधिकारी को अपनी योजना के बारे में पता ही नहीं तो आप समझ सकते हैं कि पर्यटन विभाग में किस तरह से योजनाएं बनाई जा रही होंगी.

जून में दोबारा शुरू हुई थी बोटिंग: टिहरी झील में कोरोना के बाद जून से बोटिंग शुरू हुई थी. जून महीने में 1,668 पर्यटक बोटिंग का आनंद लेने आए थे. जुलाई में 5,705 पर्यटकों ने नौकायन का लुत्फ उठाया. अगस्त में 4,100 जलक्रीड़ा के शौकीनों ने टिहरी झील में नाव की सवारी का आनंद लिया. सितंबर में अब तक करीब 1000 पर्यटक बोटिंग का मजा लेने टिहरी झील पहुंचे.

Last Updated : Sep 16, 2021, 8:18 PM IST

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