टिहरी: झील के ऊपर बन रहा डोबरा चांठी पुल सुर्खियों में है. पुल के एंकर ब्लॉक में दरारें पड़ने और समय से न बनने से लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं. इस पुल के बनने से प्रताप नगर की करीब तीन लाख आबादी को इसका फायदा मिलेगा. वहीं पुल लेकिन करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद अभी तक नतीजा सिफर ही है.
करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं बना डोबरा-चांठी पुल. 2005 से पुल निर्माणाधीन है इस पुल की लंबाई 440 मीटर है. जिस पर 247 मीटर अलग से फ्लाईओवर बनाया गया. जिसका समुद्र तल से 834 मीटर ऊंचाई पर यह पुल का निर्माण चल रहा है. अब तक इस पुल पर 350 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है. इसके बावजूद अभी तक यह पुल तैयार नहीं हो पाया. जिसका फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है. इस पुल का निर्माण 2005 में चंडीगढ़ की गुप्ता कंपनी ने शुरू किया बजट ना होने के कारण कंपनी ने पुल का काम बंद कर दिया. बाद में सरकार ने धनराशि बढ़ा दी जिसके बाद पुल का काम शुरू हुआ.
लेकिन पुल का डिजाइन फेल होने के कारण फिर पुल का काम बंद करना पड़ा. अब तक इस में निर्माणाधीन कंपनियों की लापरवाही सामने आती रही. इससे पहले पुल की मांग को लेकर प्रताप नगर की जनता ने 150 दिन तक रौलकोट के भोमेश्वर महादेव मंदिर में धरना प्रदर्शन किया था. इस पुल की स्वीकृति 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के समय में मिली थी. आज 15 साल बीत जाने के बाद भी डोबरा चांठी पुल नहीं बन पाया है. लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि पुल के निर्माण को लेकर गंभीर नहीं हैं. जिससे क्षेत्र की जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है.
वहीं, प्रतापनगर के लोगों ने पुल निर्माण में चल रही अनियमितताओं की जांच की मांग की है. लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एस एस असवाल ने बताया कि पुल दिसंबर 2019 तक बनकर तैयार हो जाएगा.साथ ही नए डिजायन के आधार पर पुल का निर्माण किया जा रहा है. पुल के चारों तरफ दो विंड एंकर डोबरा की तरफ और दो विंड एंकर चांठी की ओर बनाये गए हैं उनका उपयोग नहीं किया जाएगा. बता दें कि प्रतापनगर क्षेत्र टिहरी झील बनने के बाद जिला मुख्यालय से अलग-थलग पड़ा हुआ है.