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धनौल्टी के स्वास्थ्य उपकेंद्र को 'इलाज' की दरकार, मरीज परेशान - उत्तराखंड समाचार

बीते कई सालों से जर्जर भवन में चल रहे स्वास्थ्य उपकेंद्र का अदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां एक कमरे में ऐलोपैथिक चिकित्सालय तो दूसरे कमरे में स्वास्थ्य उपकेंद्र चल रहा है. सबसे बड़ी चिंता की बात तो ये है कि यहां अधिकाश समय डॉक्टर नदारद रहते है.

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Published : May 8, 2019, 3:50 PM IST

धनौल्टी:उत्तराखंड को बने हुए 18 से ज्यादा का वक्त हो चुका है. लेकिन आज भी प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं को कितने इलाज की जरुरत है इसका एक उदाहरण धनौल्टी में देखने को मिल सकता है, जहां सरकारी की अनदेखी और बजट के अभाव में धनौल्टी का स्वास्थ्य उपकेंद्र दम तोड़ता नजर आ रहा है.

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धनौल्टी के इस स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर जहां दर्जनों गांव के ग्रामीण निर्भर हैं तो वहीं देश-विदेश के आने वाले पर्यटकों को कोई समस्या हो जाती है तो उनका इलाज भी इसकी स्वास्थ्य उपकेन्द्र में होता है. बावजूद उसके स्वास्थ्य विभाग यहां ध्यान नहीं दे रहा है.

स्वास्थ्य उपकेंद्र धनौल्टी

बीते कई सालों से जर्जर भवन में चल रहे स्वास्थ्य उपकेंद्र का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां एक कमरे में ऐलोपैथिक चिकित्सालय तो दूसरे कमरे में स्वास्थ्य उपकेंद्र चल रहा है. सबसे बड़ी चिंता की बात तो ये है कि यहां अधिकांश समय डॉक्टर नदारद रहते है.

स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति का अंदाजा दोनों कमरों में उगी घास से लगाया जा सकता है. ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों से भी गुहार लगा चुके है. लेकिन किसी ने भी इनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया. स्वास्थ्य विभाग की इस अनदेखी का खामियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ता है. छोटे से छोटे इलाज के लिए भी स्थानीय लोगों को मसूरी और देहरादून का रूख करना पड़ता है. कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. धनौल्टी में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर एक एम्बुलेंस तक नहीं हैं.

क्षेत्र पंचायत सदस्य तपेंदर बेलवाल और प्रधान सुमित्रा देवी ने बताया कि नये भवन के लिए जगह दिलाई गई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के भवन निर्माण का काम कछुए की गति से चल रहा है.

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