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केदारनाथ में ग्लेशियर की चपेट में आने से गुजरात की महिला तीर्थयात्री की मौत, अबतक 12 की गई जान

इस साल केदारधाम में बारिश के साथ खूब बर्फबारी हुई है. जिसके कारण लिनचोली से केदारनाथ धाम तक बड़े-बड़े ग्लेशियर बन गए हैं. इन ग्लेशियरों पर चलना तीर्थयात्रियों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है. साथ ही ऊपरी पहाड़ी से ग्लेशियर कब मौत बनकर आ जाय, ये भी कोई नहीं जानता

केदारनाथ में एक और तीर्थ यात्री की मौत.

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Published : May 27, 2019, 7:47 PM IST


रुद्रप्रयाग: सोमवार को केदारनाथ यात्रा पर आई एक तीर्थयात्री की पत्थर की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई. इससे पहले भी एक महिला तीर्थयात्री पर बर्फ का गोला गिरने से मौत हो चुकी है. बावजूद इसके यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं. ग्लेशियरों को पिघलाने और रिसर्च के लिए प्रशासन ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालियन जियोलॉजिकल को बुलाया था. लेकिन आज इस दिशा में कोई कार्यवाई नहीं हो पाई है. लिनचोली से केदारनाथ पैदल मार्ग पर ग्लेशियर तीर्थयात्रियों के लिए मौत का सबब बने हुए हैं.

केदारनाथ में एक और तीर्थ यात्री की मौत.


दरअसल, इस साल केदारधाम में बारिश के साथ खूब बर्फबारी हुई है. जिसके कारण लिनचोली से केदारनाथ धाम तक बड़े-बड़े ग्लेशियर बन गए हैं. इन ग्लेशियरों पर चलना तीर्थयात्रियों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है. साथ ही ऊपरी पहाड़ी से ग्लेशियर कब मौत बनकर आ जाय, ये भी कोई नहीं जानता. सोमवार दोपहर में लिनचोली से पांच सौ मीटर नीचे की ओर पहाड़ी से अचानक ग्लेशियर तेजी से नीचे गिरा, जिसकी चपेट में आने से गुजरात से आई एक 55 वर्षीय महिला की मौत हो गई. महिला तीर्थयात्री का नाम भावना बेन बताया जा रहा है. घटना के बाद महिला के शव को हेलीकॉप्टर की मदद से गुप्तकाशी लाया गया. बता दें कि अब तक केदारनाथ यात्रा के दौरान 12 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिनमें दो तीर्थ यात्रियों की मृत्यु ग्लेशियर टूटने के कारण हुई है. जबकि आठ तीर्थयात्रियों की मौत ऑक्सीजन की कमी और सही समय पर इलाज न मिलने के कारण हुई है.

केदारनाथ में एक और तीर्थ यात्री की मौत.

ग्लेशियरों को पिघलाने और रिसर्च के लिए प्रशासन की ओर से वॉडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजिकल की एक टीम को बुलाया गया है. लेकिन अब तक इस मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यदि समय रहते प्रशासन की ओर से ग्लेशियरों पर रिसर्च और बर्फ पिघलाने की दिशा में काम किया जाता तो आज तीर्थयात्रियों को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ता. गौरतलब है कि 11 मई को पटियाला के रहने वाले 28 वर्षीय ओजस्वी की भी ग्लेशियर टूटने के कारण मौत हो गई थी. बावजूद इसके प्रशासन ने आज तक कोई सबक नहीं लिया, यही कारण है कि आये दिन यहां से मौत की घटनाएं सामने आ रही है.

प्रशासन को चाहिए कि समय रहते इन ग्लेशियरों का ट्रीटमेंट कर केदार यात्रा को सुरक्षित किया जाय. जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि ग्लेशियर के बीच से भारी पत्थर आने से तीर्थयात्री की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि लिनचोली से केदारनाथ के बीच बड़े-बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं, जिनकी ऊंचाई काफी ज्यादा है. वॉडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजिकल की टीम को रिसर्च करने को कहा गया है. जल्द ही वॉडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक केदारधाम पहुंचेंगे और ग्लेशियरों का अध्ययन करने के बाद इसका समाधान निकालेंगे.

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