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इसलिए केदारनाथ को कहा जाता है जागृत महादेव - केदारनाथ धाम स्पेशल स्टोरी

केदारनाथ धाम को जागृत महादेव माना जाता है. इसलिए कपाट खुलते ही देश-विदेश के श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है.

Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर.

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Published : Apr 29, 2020, 5:31 AM IST

Updated : Apr 29, 2020, 8:07 AM IST

रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में भगवान का वास माना जाता है. जहां के अध्यात्म को महसूस करने हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. केदारनाथ धाम को जागृत महादेव माना जाता है. भक्तों का मानना है कि यदि सच्चे मन से भगवान आशुतोष की उपासना की जाए तो वो साक्षात रूप में दर्शन देते हैं. ऐसी ही कुछ कहानी बाबा केदारनाथ से जुड़ी है.

केदारधाम के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु.

काफी समय पहले की बात है. भगवान शिव पर अटूट आस्था रखने वाला एक भक्त पैदल ही केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए निकल पड़ा. वो रोजाना रास्ते में पैदल चलते समय शिव भक्त लोगों से केदारनाथ धाम का रास्ता पूछते-पूछते आगे बढ़ता गया. माना जाता है कि इस शिव भक्त को पैदल चलते-चलते छह माह का समय लग गया. मन में सच्ची शिवभक्ति होने के बाद एक दिन वो केदारनाथ पहुंच गया लेकिन विडंबना देखिए जब भक्त मंदिर पहुंचा तो केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने वाले थे, जो छह महीने के बाद ही खुलते हैं.

केदारनाथ मंदिर.

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जब द्वार बंद करते समय पंडित ने उसे बुलाया तो उसने बताया कि वे महीनों की पैदल यात्रा करके दर्शन के लिए यहां पहुंचा है. वहीं भक्त पंडित से मनौतियां करने लगा कि एक बार भगवान भोलेनाथ के दर्शन करा दीजिए, लेकिन नियम है कि एक बार मंदिर के कपाट बंद हो गए तो वे छह महीने बाद ही खुलते हैं. जिसके बाद भक्त दर्शन न होने से जोर-जोर से रोने लगा. बार-बार पंडित से दर्शन कराने की जिद करते रहे. पंडित जी ने कहा कि अब यहां 6 महीने बाद आना, 6 महीने बाद यहां के दरवाजे खुलेंगे.

बाबा केदारनाथ की उत्सव डोली.

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पंडित ने कहा अब यहां 6 महीने बर्फ और ठंड पड़ती है जिसके कारण यहां से सभी लोग चले जाते हैं, इसलिए वह भी चला जाए. लेकिन शिवभक्त के मन में भगवान के प्रति सच्ची आस्था थी और उसे रोते हुए वहीं रात हो गई लेकिन उसे विश्वास था कि भगवान शिव उसकी पुकार जरूर सुनेंगे. क्योंकि भक्त काफी दिनों से पैदल चलकर आया था और उसे भूख-प्यास भी काफी लगी थी.

उत्सव डोली पहुंचने के बाद खुलते हैं धाम के कपाट.

इतने में ही उसे अपने पास किसी साधु के आने की आहट आई. उन्होंने देखा की एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहे हैं. सन्यासी बाबा उसके पास आए और हाल-चाल जाना. भक्त ने सरल मन से उन्हें अपने मन की सारी बातें बता दी और कहने लगा बाबा मेरा यहां आना व्यर्थ हो गया. बाबा उसकी बातों को सुनते रहे और कहा कि बेटा कल मंदिर जरूर खुलेंगे तुम दर्शन भी करोगे. थकान ज्यादा होने से भक्त को बातों-बातों में नींद आ गई.

भक्त की जब सुबह आंखें खुली तो वे अपने आसपास बाबा को खोजने लगा लेकिन उसे बाबा कहीं भी दिखाई नहीं दिए. इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने पंडित और कुछ लोगों को मंदिर की ओर आते देखा. पंडित जी भक्त को पहचान गए और उसे छह माह तक जिंदा देखकर हैरान रह गए. उसके बाद भक्त ने उन्हें सारा वृत्तांत सुनाया, पंडित जी बोले कल कोई और नहीं बाबा भोलेनाथ ने तुम्हें साक्षात दर्शन दिए हैं.

उन्होंने ही अपनी योग-माया से तुम्हारे छह महीनों को एक रात में परिवर्तित कर दिया. भगवान शिव ने ही काल-खंड को छोटा कर दिया. उन्होंने कहा कि ये सब तुम्हारी सच्ची उपासना और अटूट श्रद्धा से हुआ है. जिसके बाद भक्त भी भोलेनाथ की लीला को समझ गया. इसलिए केदारनाथ को जागृत महादेव कहा जाता है.

बता दें कि ईटीवी भारत किसी अंधविश्वास और मिथक को बढ़ावा नहीं देता है. ये कहानी अकसर पर्वतीय क्षेत्रों में सुनाई जाती रही है.

Last Updated : Apr 29, 2020, 8:07 AM IST

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