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डंपिंग जोन बनी उत्तराखंड की नदियां, आचमन लायक भी नहीं रहा पानी, अंधाधुंध विकास से खतरे में अस्तित्व! - उत्तराखंड की नदियां हो रही गंदी

Existence of rivers of Uttarakhand in danger नदियों में डाले जा रहे मलबे के कारण उत्तराखंड में भागीरथी और अलकनंदा नदी का अस्तित्व खतरे में है. आलम ये है कि नदियों का पानी आचमन लेने लायक भी नहीं है. बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर जगह-जगह बनाए गए डंपिंग जोन से मलबा नदियों पर गिर रहा है. इससे नदियां गंदी होने के साथ ही अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है.

Rivers of Uttarakhand are getting dirty
उत्तराखंड की नदियां हो रही गंदी

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 2, 2023, 3:53 PM IST

Updated : Dec 2, 2023, 8:35 PM IST

डंपिंग जोन बनी उत्तराखंड की नदियां

रुद्रप्रयाग: बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर बनाए गए डंपिंग जोन भविष्य में किसी बड़ी आपदा को निमंत्रण दे सकते हैं. इन डंपिंग जोन में सीमा से अधिक भार डालने से नदियों का अस्तित्व संकट में है. भारी मात्रा में जहां डंपिंग जोन में मलबा डाला जा रहा है. वहीं निर्माण कार्यों का मलबा सीधे नदियों में डाले जाने से नदी के प्रवाह को रोककर जीव-जंतुओं के अस्तित्व को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. यह सबकुछ देखने के बाद जहां वन विभाग अर्थदंड वसूलने तक सीमित रह गया है. वहीं जिला प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रहा है. ऐसे में चिंता में सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण विशेषज्ञ ही नजर आ रहे हैं.

बता दें कि बदरीनाथ से लेकर ऋषिकेश तक हाईवे पर जगह-जगह रेलवे के साथ ही ऑल वेदर कार्य के डंपिंग जोन देखे जा सकते हैं. इसके अलावा रुद्रप्रयाग संगम से लेकर गौरीकुंड हाईवे तक भी कई जगहों पर डंपिंग जोन बने हुए हैं. हालांकि रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक ऑल वेदर कार्य का मलबा फेंका जा रहा है. लेकिन कर्णप्रयाग से ऋषिकेश तक हाईवे के किनारे रेलवे के साथ ही ऑल वेदर का भी मलबा भरा पड़ा है. पहले इन डंपिंग जोन की संख्या बहुत कम थी. लेकिन ऑल वेदर कार्य के बाद तेजी से शुरू हुए ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के कार्य का मलबा भी राजमार्गों के किनारे अब देखा जा सकता है. खासकर जिन स्थानों पर रेलवे स्टेशन या फिर सुरंग दिखाई दे रही है. उन स्थानों के आस-पास बड़े से स्थान पर डंपिंग जोन साफ नजर आ रहे हैं.
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नदियां हुईं गंदी: पहाड़ों को खोदकर बनाई जा रही सुरंग का मलबा डंपिंग जोन में डाला जा रहा है. ऑल वेदर कार्य का मलबा भी इन्हीं डपिंग जोन में डाला जा रहा है. जिस कारण यह डंपिंग जोन काफी भर गये हैं और भविष्य के लिए किसी बड़ी आपदा को जन्म दे सकते हैं. एक ओर जहां हिमालयी क्षेत्र केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में शीतकाल के समय निर्माण कार्य चल रहे हैं. वहीं ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों में ऑल वेदर के साथ रेलवे कार्य जोरों पर होने से मौसम परिवर्तन हो गया है. पहले मंदाकिनी और अलकनंदा नदी का जल शीतकाल में साफ नजर आता था. वहीं अब ग्रीष्मकाल के मौसम के साथ ही शीतकाल में भी दोनों नदियों का पानी शुद्ध नहीं है. मिट्टी नुमा पानी हर समय नदियों की गंदगी को बयां कर रहा है.

नदियों के अस्तित्व से छेड़छाड़: मामले में जहां स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं जनता सोई हुई है. वहीं विपक्ष गंभीर अवस्था में नजर आ रहा है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि ऑल वेदर और रेल परियोजना का मलबा सीधे मंदाकिनी और अलकनंदा नदी में डाला जा रहा है. वन विभाग के नीचे एनएच विभाग का सुरक्षा दीवार का कार्य जारी है. यहां पर भी गलत तरीके से नदी के प्रवाह को रोका जा रहा है. ठेकेदार और विभागीय अभियंता मिलकर नदियों के अस्तित्व के साथ खेल रहे हैं. हजारों टन मलबा अलकनंदा नदी में डाला जा चुका है. ठेकेदार ने नदी के प्रवाह को बदल दिया है. मानकों के तहत कार्य नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नरकोटा और खांखरा के बीच डंपिंग जोन पूरी तरीके से भर चुका है. इसका मलबा सीधे नदी में जा रहा है.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना:वहीं दूसरी ओर हाईवे पर जगह-जगह बनाए गए डंपिंग जोन पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जताई है. पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेंद्र बद्री ने कहा कि किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को करने के लिए एनजीटी का एक मानक होता है. मानकों के तहत जिस स्थान पर डंपिंग जोन बनाया जाएगा. उस स्थान पर पेड़ों को भी उगाया जाएगा. लेकिन निर्माण विभाग अपनी सुविधा के लिए चोरी-छिपे मलबे को नदियों में डाल देते हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि नदी में जीवन है. उसमें किसी प्रकार का कंकड़ भी नहीं डाल सकते हैं.

डंपिंग जोन के मलबे से नदियों का इको सिस्टम बिगड़ रहा है. मलबे से जलीय जीवों को नुकसान पहुंच रहा है. एनजीटी को नदियों के किनारे डंपिंग जोन बनाने के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. हिमालय को बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं ने हमेशा नुकसान पहुंचाया है. तपोवन के रैणी आपदा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. उत्तराखंड एक अध्ययन का विषय है. हिमालयन जियोलॉजी को ध्यान में रखकर यहां के विकास की रूपरेखा तैयार की जानी चाहिए. बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर बनाए गए डंपिंग जोन भविष्य में केदारनाथ से भी बड़ी आपदा को जन्म दे सकते हैं.
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वन विभाग कर रहा है कार्रवाई: डीएफओ अभिमन्यु ने कहा कि बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर अनियंत्रित तरीके से मलबे का निस्तारण किया जा रहा है. वन विभाग की ओर से इन मामलों में कार्रवाई की जा रही है. वाहनों को सीज किया जा रहा है. जबकि अर्थदंड भी वसूला जा रहा है. उन्होंने कहा कि लोनिवि, पीएमजीएसवाई, एनएच, रेलवे परियोजना का कार्य कर रही कार्यदायी संस्थाओं से पत्राचार करके बार-बार नदियों को स्वच्छ रखे जाने की अपील की जा रही है.

उन्होंने कहा कि वन विभाग ने अब तक रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के अंतर्गत डंपिंग जोन की शिकायत पर 20 लाख का अर्थदंड वसूला है. जबकि 6 प्रकरण ऐसे हैं, जिन्हें वसूली की कार्रवाई गतिमान है. इनमें करीब 10 लाख वसूली की जानी है.

Last Updated : Dec 2, 2023, 8:35 PM IST

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