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रुद्रप्रयाग: जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक, विभिन्न मुद्दों पर की गई चर्चा

जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक में सीडीओ ने एसडीओ महिपाल सिंह को सिविल स्वयं भूमि की जानकारी देने व पटवारी चौकियों की जीपीएस लोकेशन वन विभाग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

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जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक

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Published : Jan 15, 2020, 10:28 PM IST

रुद्रप्रयाग:जिला कार्यालय सभागार में सीडीओ सरदार सिंह चैहान की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई. बैठक में सीडीओ ने एसडीओ महिपाल सिंह को सिविल स्वयं भूमि की जानकारी देने व पटवारी चौकियों की जीपीएस लोकेशन वन विभाग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज के चलते दिन प्रतिदिन बदलाव आ रहा है, जिसके चलते प्राकृतिक आपदाओं का मूल्यांकन करना असंभव है. ऐसे में वन एवं समुदाय को आपसी समन्वय और सामंजस्य से कार्य करना होगा.

ऐसे में वन विभाग द्वारा पटवारी चौकियों को गूगल अर्थ में लोकेट कर दिया जाएगा, जिससे वनाग्नि के दौरान सबसे नजदीकी रिस्पांडर का पता चल सकेगा. प्रभागीय वनाधिकारी वैभव कुमार ने बताया कि बैठक का उद्देश्य जनपद के लिए अग्नि सुरक्षा की योजना बनाकर शासन को उपलब्ध कराना है. शासन से योजना पारित कराकर योजना के अनुरूप कार्य किया जा सकेगा. योजनानुसार इस फायर सीजन में 2 कंट्रोल रूम, 44 क्रू स्टेशन और 6 मोबाइल क्रू स्टेशन बनाये जाएंगे. इसके साथ ही समस्त पटवारी चैकियों को भी क्रू स्टेशन बनाया जाएगा. जिसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी भी शामिल होगी.

इस मौके पर बताया गया कि भारतीय वन अधिनियम 1927 के सेक्शन 79 के अनुसार हर व्यक्ति जो आरक्षित वन क्षेत्रों के समीप स्थित गांवों में निवासरत है तथा किसी भी प्रकार की राजकीय सेवा अथवा राज्य द्वारा किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता अनुदान प्राप्त करता है. तो वह वन अग्नि के दौरान वन विभाग की सहायता करने के लिए बाध्य हैं. ऐसा न करने पर संबंधित के विरुद्ध 2 हजार का जुर्माना और 1 वर्ष की जेल का प्रावधान है.

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एसडीओ महिपाल सिंह सिरोही ने पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से बताया कि वन प्रभाग रुद्रप्रयाग का 923 हेक्टेयर व केदारनाथ का 15407 हेक्टेयर क्षेत्रफल अति संवेदनशील और संवेदनशील के दायरे में आता है. विगत 10 सालों की अग्नि दुर्घटनाओं से रुद्रप्रयाग वन प्रभाग का लगभग 575 हेक्टेयर व केदारनाथ का 24 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है.

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