रुद्रप्रयाग:कोरोना काल में बच्चों के पढ़ने-लिखने का बहुत व्यापक नुकसान हुआ है. लगभग दो वर्षों तक बच्चे अपने विद्यालयों और शिक्षकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क से दूर रहे. सूबे में शिक्षा विभाग की मदद कर रहे अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन ने देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना काल में हुए बच्चों के लर्निंग लॉस को लेकर विभिन्न स्तरों पर सर्वे कराये हैं. सर्वे में यह बात सामने आई की 33 फीसदी से अधिक बच्चे अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा का दक्षता स्तर रखते हैं. जबकि 48 प्रतिशत से अधिक बच्चे अपनी वर्तमान कक्षा से दो कक्षा नीचे की दक्षताओं का ज्ञान ही रखते हैं.
100 दिन का रीडिंग कैम्पेन: सरकार ने इस बात को गंभीरता से लेकर अजीम प्रेमजी के विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर 100 दिनों का एक प्लान रीडिंग कैम्पेन के नाम से बनाया था. लेकिन यह प्लान स्कूली आधारभूत सुविधाओं और शिक्षकों की भारी कमी के कारण पूरा नहीं हो पाया. अंततः सरकार द्वारा इस कार्यक्रम को जारी रखने का फैसला किया गया. मिशन कोशिश के साथ इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर एक दिवसीय रिकवरी ऑफ लर्निंग लॉस कार्यशाला अगस्त्यमुनि स्थित अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन कार्यालय में आयोजित की गई.
लर्निंग लॉस का अध्ययन: कार्यशाला में अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के चार संकुलों के 27 प्रधानाध्यापकों ने प्रतिभाग किया. कार्यशाला का संचालन करते हुए अजीम प्रेमजी रुद्रप्रयाग कार्यालय के साथी अनूप शुक्ला ने मिशन कोशिश और रीडिंग कैम्पन की विस्तृत जानकारी दी. डायट रतूड़ा के प्रवक्ता विजय चौधरी ने वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा रिकवरी ऑफ लर्निंग लॉस पर किये जा रहे प्रयासों को रखा गया एवं शिक्षा साथियों के अनुभव को सुना गया. उन्होंने आनंदम कक्षाओं के साथ प्रधानाध्यापक की भूमिका को लेकर कहा कि वर्तमान में टीचिंग प्रोटोकॉल पर काम करने की आवश्यकता है.