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पिथौरागढ़: हल्दू गांव के लोगों की नियति बन गई है डोली, उपेक्षा से लोगों में रोष - नेपाल से सटा अंतिम गांव हल्दू

हल्दू गांव में 6 महीने की गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने 7 किमी पैदल कंधे में उठाकर सड़क तक पहुंचाया. क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर ग्रामीणों में खासा रोष है.

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गर्भवती महिला

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Published : Aug 3, 2020, 10:00 PM IST

पिथौरागढ़:नेपाल से सटा अंतिम गांव हल्दू आजादी के सात दशक बाद भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है, जिसके चलते गांव में बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रविवार को भी हल्दू गांव में एक गर्भवती महिला की तबीयत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने उसे डोली के सहारे बमुश्किल सड़क तक पहुंचाया. इस दौरान ग्रामीणों को 7 किमी की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ी. ग्रामीणों ने सरकार से हल्दू गांव को सड़क से जोड़ने की गुहार लगाई है.

गर्भवती महिला को 7 किलोमीटर पैदल कंधे में लादकर पहुंचाया अस्पताल.

पिथौरागढ़ के हल्दू गांव में 6 महीने की गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने पर ग्रामीणों ने 7 किमी पैदल कंधे में उठाकर सड़क तक पहुंचाया. महिला को इलाज के लिए जिला महिला अस्पताल लाया गया है. मूनाकोट विकासखंड का हल्दू गांव अब भी सड़क सुविधा से दूर हैं. हल्दू गांव में बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक लाने के लिए ग्रामीणों को करीब सात किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर सड़क तक पहुंचना पड़ता है.

गर्भवती महिला को 7 किलोमीटर पैदल कंधे में लादकर पहुंचाया अस्पताल.

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बता दें कि हल्दू गांव को जोड़ने वाले क्वीतड़-जमतड़ी मोटरमार्ग का निर्माण साल 2012 में शुरू हुआ था. इस सड़क को हल्दू तक बनाया जाना था, लेकिन किन्हीं कारणों से यह नहीं बन पाई है. हल्दू तक सड़क नहीं बनने से नेपाल सीमा से लगे जमतड़ी, मझेड़ा, हल्दू और भौंरा के ग्रामीणों को काफी दिक्कत होती है. हल्दू, भौंरा से आने वाले ग्रामीणों को सात किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर जमतड़ी तक आना पड़ता है. जिसमें ग्रामीणों को पसीने छूट जाते हैं. क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर ग्रामीणों में खासा रोष है.

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