देहरादून: पिथौरागढ़ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी और दिवंगत प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत ने कांग्रेस उम्मीदवार अंजु लुंठी को तीन हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. इस जीत से जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राहत की सांस ली है. वहीं बीजेपी की इस जीत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत की मुश्किलें खड़ी कर दी है.
जैसा कि सभी जानते हैं कि उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मीडिया के माध्यम से हरीश रावत से अपील की थी कि वे अपने बेटे की शादी की वजह से चुनाव के प्रचार-प्रसार समय नहीं दे पाएंगे. ऐसे में हरीश रावत लगभग दस दिन तक पिथौरागढ़ में ही रहने की कृपा करें. हालांकि, ये पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष ने ये साफ कर दिया था कि पार्टी जीते या हारे इसका ठीकरा किसके सिर पर फूटेगा.
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बता दें कि फरवरी 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को हटाने के बाद हरीश रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे. आम चुनाव 2014 में डोइवाला से तत्कालीन विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से विजयी हुए थे, तब उन्होंने डोइवाला सीट छोड़ी थी. फिर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने डोइवाला से न लड़कर अपने लिए सुरक्षित सीट की उम्मीद में तत्कालीन धारचूला विधायक हरीश धामी से इस्तीफा दिलवाकर अपनी विधानसभा में प्रवेश सुनिश्चित किया था. तब से ऐसा माना जा रहा था कि हरीश रावत की कुमाऊं पर अच्छी पकड़ है और उन्हें उन्हीं के गढ़ में यानि पिथौरागढ़ में हरा पाना मुश्किल होगा.
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ऐसे माहौल में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की गई विशेष अपील ने पार्टी के अंदर चल रही आपसी खींचतान उजागर कर दी थी. आज उस घटना का पटाक्षेप हो गया और दिवंगत प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को लोगों की सहानुभूति मिली और वे इस सीट पर काबिज हुई. लिहाजा, एक बात साफ हो जाती है कि हरीश रावत की कुमाऊं पर पकड़ अब समय के साथ-साथ ढीली पड़ गई है और उनके गढ़ पर बीजेपी का विजय पताका लहरा रहा है.