उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

पहाड़ी क्षेत्रों में वर्चुअल क्लासेस बेईमानी, बिना संचार सेवाओं के कैसे होगी डिजिटल पढ़ाई? - उत्तराखंड में डिजिटल पढ़ाई

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में वर्चुअल क्लासेज कितनी कारगर है? ये सवाल आम जनता से लेकर सरकार और शेक्षणिक विशेषज्ञों के बीच एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.

ऑनलाइन पढ़ाई
ऑनलाइन पढ़ाई

By

Published : Jul 9, 2020, 3:29 PM IST

Updated : Jul 9, 2020, 4:39 PM IST

पिथौरागढ़: कोरोना महामारी के इस दौर में एक ज्वलंत मुद्दा शिक्षा पद्धति में बदलाव के रूप में सामने आया है. बदलती परिस्थितियों में हर स्कूल, कॉलेज और महाविद्यालय में वर्चुअल पढ़ाई और वेबिनार के माध्यम से क्लासरूम को घर तक पहुंचाने की कवायद में जुटे हैं. मगर सवाल ये उठता है कि क्या वर्चुअल पढ़ाई क्लास रूम का विकल्प साबित हो सकती है? साथ ही वर्चुअल क्लासेस की गुणवत्ता और छात्रों के बीच इसकी पहुंच (उपलब्धता) को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में वर्चुअल क्लासेज कितनी कारगर है? ये सवाल आम जनता से लेकर सरकार और शेक्षणिक विशेषज्ञों के बीच एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.

पहाड़ी क्षेत्रों में वर्चुअल क्लासेस बेईमानी

उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ की बात करें तो यहां कोरोना संकट के दौरान सरकार के निर्देशों पर सभी 214 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू की गयी थीं, लेकिन खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी के कारण केवल आधे स्कूल ही इसका फायदा उठा पा रहा हैं. ऑनलाइन क्लासेज उन छात्रों के लिए भी दूर की कौड़ी साबित हो रही है, जो गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं. जिनके पास ऑनलाइन क्लासेज लेने के लिए स्मार्टफोन भी उपलब्ध नहीं है.

पढ़ेंः त्रिवेंद्र सरकार जल्द खोलने जा रही है नौकरियों का पिटारा, सोलर प्लांट पर भी तेजी से हो रहा काम

डिजिटल क्लासेज में सबसे बड़ी बाधा दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों का संचार विहीन होना है. आज के डिजिटल युग में भी पिथौरागढ़ जिले में 150 से अधिक गांव ऐसे हैं, जो संचार सेवा से पूरी तरह अछूते हैं. जबकि, कई गांवों में इंटरनेट की खराब कनेक्टिविटी के कारण छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में बहुत परेशानियां आ रही हैं. आलम ये है कि छात्रों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलती है और उसके बाद ही वे ऑनलाइन पढ़ाई कर पाते हैं.

अगर बात हायर एजुकेशन की जाए तो उच्च शिक्षा के नाम पर पिथौरागढ़ जिले में 8 डिग्री कॉलेज हैं. इन महाविद्यालयों में अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जो दूर-दराज के गांवों से पढ़ाई के लिए आते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण सभी महाविद्यालय बंद होने से छात्र अपने अपने घरों में हैं. जहां मोबाइल कनेक्टिविटी ढूंढने पर भी नहीं मिलती. ऐसे में सीमांत क्षेत्रों के छात्र और अभिभावक ऑनलाइन पढ़ाई की प्रासंगिकता को सिरे से खारिज कर रहे हैं.

शहरी क्षेत्रों में भी मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट स्पीड की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आ रही हैं. कोई भी सरकारी व निजी संचार कंपनी ऐसी नहीं, जो भरोसे के लायक हो. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में संचार सेवाओं का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर सरकार ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर वाकई में गम्भीर है तो उसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों को संचार से लैस करने के साथ ही इंटरनेट की गुणवत्ता में सुधार करना होगा. साथ ही गरीब छात्रों के लिए योजना बनाकर डिजिटल माध्यमों से जोड़ना पड़ेगा.

Last Updated : Jul 9, 2020, 4:39 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details