उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

श्री यंत्र टापू के समीप बनेगा स्मृति वन, 16 जून को लगाए जाएंगे 200 पेड़ - sriyantra tapu

आयुक्त गढ़वाल बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि जो भी व्यक्ति अपने बुजुर्गों व अन्य लोगों के नाम से पेड़ लगाना चाहता है उनसे निश्चित धनराशि ली जाएगी.

pauri

By

Published : Jun 4, 2019, 1:22 PM IST

पौड़ी:2013 की केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों को याद में पौड़ी के श्री यंत्र टापू पर स्मृति वन की स्थापना की जा रही है. गढ़वाल आयुक्त के निर्देश पर श्री यंत्र टापू पर वृक्षारोपण किया जाएगा, जिससे पर्यावरण को संरक्षित रखा जा सके.

पढ़ें- ईद पर गुलजार हुए बाजार, लोग जमकर कर रहे खरीददारी

यहां लगाए गए पेड़ों की सुरक्षा का जिम्मा महिला समूह को दिया जाएगा. इसके अलावा इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु अपने पूर्वजों की स्मृति में वृक्ष लगाना चाहे तो आर्थिक सहयोग देकर पर्यावरण प्रेमी बन सकते है. इसके लिए रूपरेखा तैयार कर ली गई है.

श्री यंत्र टापू के समीप बनेगा स्मृति वन

डीएफओ सिविल सोयम संत राम ने बताया कि स्मृति वन में वृक्षारोपण करने वालों पड़ों की देखभाल की जानकारी समय-समय दी जाएगी. जिला प्रशासन की और से श्रीनगर के श्रीयंत्र टापू पर स्मृति वन की स्थापना के लिए भूमि भी चिन्हित कर ली गई है. डीएफओ ने बताया कि 16 जून को करीब 200 वृक्ष लगाए जाएंगे जो कि फलदार, छायादार और सोवादर आदि होगे. इसके लिए हरिद्वार से लेकर केदारनाथ तक भूमि चयन कर वृक्ष लगाए जाएंगे.

पढ़ें- 12 जून का काठगोदाम पहुंचेगा कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला दल

आयुक्त गढ़वाल बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि जो भी व्यक्ति अपने बुजुर्गों व अन्य लोगों के नाम से पेड़ लगाना चाहता है उनसे निश्चित धनराशि ली जाएगी. उस धनशाशि को पास के महिला सहायता समूह को दिया जाएगा. महिला समूह की जिम्मेदारी होगी कि वह उन वृक्षों की रक्षा करें ताकि एक साल तक हर हफ्ते वृक्ष की वृद्धि की जानकारी उन्हें पहुंचाई जाए. इससे क्षेत्र की महिला सहायता समूह को मजबूती देने के साथ-साथ पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा.

क्या है श्री यंत्र टापू

मान्यता है कि वर्तमान नाम श्रीनगर श्री यंत्र से विकसित हुआ है. ये श्री यंत्र एक विशाल पत्थर पर अंकित था. 8वीं सदी में हिन्दु धर्मोद्धार के क्रम में जब आदी शंकराचार्य श्रीनगर आये तो उन्होंने इस प्रक्रिया का विरोध कर इसे रोक दिया था. उन्होंने श्री यंत्र को ऊपर से नीचे घुमा दिया था और इसे अलकनंदा नदी में डाल दिया था. यह आज भी नदी में ही है तथा लोग बताते हैं कि यह 50 वर्ष पहले तक जल के स्तर से ऊपर दिखाई देता था. इस क्षेत्र को श्री यंत्र टापू कहा जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details