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दो साल बाद यादगार होगा नैनीताल का नंदा देवी मेला, पढ़ें किस दिन होगा कौन सा कार्यक्रम

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Published : Aug 27, 2022, 6:28 PM IST

कुमाऊं में कुलदेवी नंदा सुनंदा का महोत्सव नैनीताल में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा. इस साल बिना किसी भी प्रतिबंध के मेले का आनंद लिया जा सकेगा.

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नैनीताल का नंदा देवी मेला

नैनीताल: उत्तराखंड के प्रमुख मेलों में शुमार मां नंदा-सुनंदा का मेला नैनीताल (Nanda Devi Mela Nainital) में इस साल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. पिछले दो वर्षों में कोरोना के चलते मेले का आयोजन भव्य रूप से नहीं हो पाया था. हालांकि इस साल बिना किसी भी प्रतिबंध के मेले का आनंद लिया जा सकेगा. 1 से 7 सितंबर तक इस महोत्सव का आयोजन होना है, जिसमें धार्मिक महत्ता के साथ-साथ उत्तराखंड की संस्कृति का भी प्रदर्शन किया जाएगा.

कुमाऊं में कुलदेवी नंदा सुनंदा का महोत्सव नैनीताल में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा. 1 सितंबर को इस भव्य महोत्सव का उद्घाटन किया जाएगा, जिसके अगले दिन ज्योलीकोट के भल्यूटी गांव से केले के पेड़ लाए जाएंगे और मां नंदा और सुनंदा (Maa Nanda and Sunanda) की मूर्ति का निर्माण होगा. 4 सितंबर यानी अष्टमी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में मूर्ति की स्थापना होगी. इस दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होंगे और भक्त मां नंदा सुनंदा के दर्शन कर सकेंगे. नवमी के दिन 5 सितंबर को भंडारे का आयोजन होगा. 7 सितंबर को पूरे नगर में डोला भ्रमण कराया जाएगा और ठंडी सड़क स्थित पाषाण देवी मंदिर के समीप डोले को विसर्जित किया जाएगा.

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रामसेवक सभा के महासचिव जगदीश बावड़ी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दो साल के बाद महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें एक लाख से अधिक भक्तों आने की उम्मीद है. महोत्सव के दौरान उत्तराखंड की छोलिया नृत्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्कूली छात्र छात्राओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं समेत महोत्सव में आने वाले भक्तों के लिए भव्य भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा.

काफी पुराना है मेले का इतिहास: वैसे तो नंदा सुनंदा मेले की शुरुआत अल्मोड़ा जिले से हुई थी, लेकिन नैनीताल में साल 1903 में पहली बार यह महोत्सव मनाया गया था. साल 1918 में श्री राम सेवक सभा की स्थापना हुई थी. 1926 से नैनीताल राम सेवक सभा ने नंदा देवी महोत्सव का आयोजन शुरू किया, जो वर्तमान तक हर साल मनाया जाता है. कुमाऊंनी और उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने के प्रयासों में राम सेवक सभा लगातार कोशिशों में लगा है. नंदा देवी जैसे बड़े महोत्सव में यहां पहाड़ के पर्यावरण, यहां की परंपरा और यहां की लोक कला को संरक्षित करने का भी प्रयास किया जाता है.

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