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रुद्रप्रयाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल निलंबित, HC ने इस मामले में किया सस्पेंड - जिल जज निलंबित

District and Sessions Judge of Rudraprayag suspended उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुद्रप्रयाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश और हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) अनुज कुमार संगल को निलंबित कर दिया है. उन पर हाईकोर्ट का रजिस्ट्रार विजिलेंस रहते अपने अधीन कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का उत्पीड़न करने का आरोप है. इस उत्पीड़न से त्रस्त होकर इस कर्मचारी ने आत्मघाती कदम उठा लिया था.

Judge of Rudraprayag suspended
नैनीताल हाईकोर्ट समाचार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 5, 2024, 9:51 AM IST

नैनीताल: रुद्रप्रयाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश और हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) अनुज कुमार संगल पर लगे आरोपों पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल आशीष नैथानी की ओर से जिला जज रुद्रप्रयाग अनुज संगल का निलंबन आदेश जारी हुआ है. आदेश में कहा गया है कि अनुज कुमार संगल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रुद्रप्रयाग के खिलाफ कुछ आरोपों पर अनुशासनात्मक जांच पर विचार किया जा रहा है. उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम 2003 के नियम 7 के तहत नियमित जांच शुरू की जाएगी. इसलिए अनुज कुमार संगल को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. निलंबन की अवधि में वे जिला एवं सत्र न्यायालय चमोली में सम्बद्ध रहेंगे.

हाईकोर्ट का आदेश

अनुज संगल पर आरोप है कि रजिस्ट्रार (सतर्कता) के रूप में अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने अपने आवास पर तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से अपशब्द कह कर और सेवा से हटाने की धमकी देकर प्रताड़ित किया. किसी अधीनस्थ को परेशान करना और सेवा से हटाने की धमकी देना एक न्यायिक अधिकारी के लिए अमानवीय आचरण और अशोभनीय है. यह उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 2002 के नियम-3(1) और 3(2) के विरुद्ध है.

हाईकोर्ट का आदेश

आरोप है कि उन्होंने उक्त कर्मचारी को नियमित रूप से डांट-फटकार कर सुबह 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक तथा उससे भी अधिक समय तक ड्यूटी लेकर परेशान किया है. साथ ही उक्त कर्मचारी के कार्य समय और कार्य की प्रकृति के संबंध में अपने जवाब 18 नवम्बर 2023 में गलत तथ्य बताकर अनुशासनात्मक प्राधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया है. उन्होंने शिकायतकर्ता के अर्जित अवकाश की मंजूरी की प्रक्रिया में देरी करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है. परिणामस्वरूप उसका वेतन समय पर नहीं निकाला जा सका.

इस प्रताड़ना के कारण उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने 03 जनवरी 2023 को उनके आवास के सामने आत्मघाती कदम उठाया. किसी कर्मचारी की छुट्टी स्वीकृत करने की प्रक्रिया में जानबूझ कर देरी करना और उसका वेतन रोकना तथा गलत व्यवहार करके अधीनस्थ को अप्रिय कदम उठाने के लिए मजबूर करना भी एक अमानवीय व्यवहार है. उन्होंने अपने अनुचित प्रभाव का उपयोग करके चतुर्थ श्रेणी कर्मी द्वारा अप्रिय कदम उठाने के पूरे मामले को मुख्य न्यायाधीश से छिपाने का प्रयास किया है जो कि उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण के नियम-3(1) और 3(2) के तहत कदाचार है.
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