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उत्तराखंड में शराब के टेट्रा पैक की बिक्री पर लगी रोक हटी, हाईकोर्ट ने क्यूआर कोड लगाने के दिए निर्देश - उत्तराखंड शराब नीति

उत्तराखंड में शराब के टेट्रा पैक के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने शराब के टेट्रा पैक की बिक्री पर रोक हटा दी है. हाईकोर्ट ने सरकार को शराब के टेट्रा पैक पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट

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Published : Apr 25, 2023, 12:23 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में प्रदूषण की बढ़ती हुई मात्रा को देखते हुए शराब के टेट्रा पैक की बिक्री पर रोक लगाये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने शराब की टेट्रा पैक की बिक्री पर लगी रोक हटाते हुए जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है.

कोर्ट ने क्या कहा: कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सरकार कोई ऐसा प्लान लाये जो भी उत्पाद टेट्रा पैक की श्रेणी में बिकते हैं, उन पर भी बार कोड लगाने व उनके रैपरों को बिक्री के बाद विक्रेता तक वापस लेने की नीति पर विचार करे. इस सम्बंध में एक शपथ पत्र पूर्व में दायर जितेंद्र यादव की जनहित याचिका में पेश करें. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नागरिक अपने नैतिक जिम्मेदारियों का वहन नहीं कर रहे हैं. इसलिए कोर्ट का कर्तव्य है कि उनको अपनी नैतिक जिमेदारियों से अवगत कराया जाये.

पिछली सुनवाई में ये कहा था: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि टेट्रा पैक वेस्ट के निस्तारण के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है. इस सम्बंध में प्लान कोर्ट में पेश करे. राज्य सरकार ने सोमवार को अपना जवाब पेश किया. सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा कि इस मामले को सरकार गम्भीरता से ले रही है और टेट्रा पैक में क्यूआर कोड लगाकर उसे चारधाम यात्रा के तहत वापस लेने की नीति बना रही है.

टेट्रा पैक पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश: पिछली तिथि को सरकार के प्लान के मुताबिक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया था कि आने वाली चारधाम यात्रा में राज्य सरकार जैसे प्रदूषण के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक वाटर बॉटल व प्लास्टिक युक्त पैक समाग्री पर क्यू आर कोड लगा रही है, उसी की तर्ज पर प्रत्येक टेट्रा पैक पर भी क्यूआर कोड लगाये जाएं. विक्रेता ग्राहक से निर्धारित मूल्य से दस रुपये अधिक लें. साथ में यह भी शर्त रखें कि दस रुपये तभी वापस होंगे, जब यह पैक उपयोग के बाद उन्हें वापस करेंगे. ताकि वे इस वेस्ट को सम्बंधित कम्पनियों, नगर पालिकाओं व अन्य रिसाइकिलिंग सेंटरों में भेज सकें. क्यूआरकोड नहीं होने से सभी उपभोक्ता वेस्ट को जहां तहां फेंक देते हैं. इसकी वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. पर्यावरण को बचाने का यही सबसे बड़ा उपाय है. प्रदेश में प्रति वर्ष 10 करोड़ टेट्रा पैकों को की खपत है, जिसको आज तक नहीं उठाया गया.
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चंपावत के नागरिक ने दायर की है जनहित याचिका: मामले में चंपावत निवासी याचिकाकर्ता नरेश चन्द्र की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि सरकार की नयी आबकारी नीति के अनुसार शराब के 200 एमएल के पैक को टेट्रा पैक में बेचने की योजना है. ये सरकार की प्लास्टिक वेस्ट नियमावली के विरुद्ध है. इसकी वजह से पर्यवारण को भारी नुकसान होगा. याचिकाकर्ता की ओर से इसपर रोक लगाने की मांग की गयी. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार एक ओर प्लास्टिक कूड़े पर रोक नहीं लगा पा रही है. दूसरी तरफ टेट्रा पैकों में इसे बेचने की अनुमति भी दे रही है. इसकी वजह से प्रदूषण और बढ़ेगा. सोमवार को राज्य सरकार की तरफ दायर शपथ पत्र में कहा गया कि उन्होंने सभी उत्पादक निर्माताओं को निर्देश दे दिए हैं कि सभी टेट्रा पैकों पर क्यूआर कोड लगाएं और उनसे उत्पन्न कूड़े को निस्तारण का इंतजाम करें.

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