नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेन्डर के साथ हुए रेप कांड मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. मुम्बई निवासी याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता लिंग परिवर्तन कर लड़की बन गई है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने दुष्कर्म का मामला न दर्ज करके धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार, नालसा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में यह अवधारित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपना जेंडर चुन सकता है, लेकिन रेप के बाद से उत्तराखंड पुलिस ने उसको महिला मानने से इनकार कर दिया है. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने निर्णय को सुरक्षित रखा है.
बता दें कि मुम्बई निवासी युवती ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसके दोस्त ने उसके साथ दुष्कर्म किया है. इसके बाद पीड़िता दुष्कर्म की शिकायत लेकर पुलिस के पास गई तो पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज न करके 377 अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है. साथ ही याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उसका ये मामला धारा 376 दुष्कर्म मामले में दर्ज किया जाए.
साथ ही याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. नालसा का आदेश ट्रांसजेन्डरों के अधिकारों के हितों के लिए है. साथ ही याचिकाकर्ता ने मामले की जांच अधिकारी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला है कि कोर्ट ने मामले में 5 जांच अधिकारी बदले हैं, जबकि कोर्ट ने आज तक कोई जांच अधिकारी नहीं बदला है.