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यहां अधिकारियों को मजदूरों पर भी नहीं आ रहा तरस, रजिस्ट्रेशन के नाम पर वसूल रहे दोगुनी फीस - गौला नदीं हल्द्वानी

प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी में काम करने वाले करीब 25000 मजदूरों को हर साल मिलने वाले कंबल, जूते, गलब्स सहित अन्य सुविधाएं 6 महीने बाद भी नहीं मिली हैं.

खनन मजदूरों को शोषण

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Published : Apr 15, 2019, 11:07 PM IST

Updated : Apr 15, 2019, 11:58 PM IST

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी में खनन करने वाले हजारों मजदूरों को सरकार से मिलने वाली सुविधाएं अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ रही है. वहीं वन विकास निगम मजदूरों को सुविधा देने के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार कर रहा है.

खनन मजदूरों को शोषण

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दरअसल, प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी में काम करने वाले करीब 25000 मजदूरों को हर साल मिलने वाले कंबल, जूते, गलब्स सहित अन्य सुविधाएं 6 महीने बाद भी नहीं मिली हैं. अब गौला नदी में उप खनिज समाप्त हो रहा है और मॉनसून भी नजदीक है. ऐसे में कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी कभी भी बंद हो सकती है, लेकिन ठंड बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को अभी तक कोई सुविधा नहीं दी गई है.

यही नहीं खनन की कार्यदाई संस्था वन विकास निगम के कर्मचारी नदी में मजदूरों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर 500 रुपए वसूल रहे हैं. जबकि उन्हें रसीद ढाई सौ रुपए की दी जा रही है. ऐसे में अधिकारी खुलेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं.

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वहीं मजदूरों का कहना है कि वो हर साल अपने परिवार के साथ यहां मजदूरी करने आते हैं. वन निगम की ओर से उन्हें सर्दियों में कंबल, जूते और पॉल्यूशन मास्क समेत अन्य सुविधाएं मिलती थी, लेकिन इस बार उन्हें कुछ नहीं दिया गया. जबकि अब खनन बंद होने वाला है.

इस पूरे मामले में प्रभागीय लौगिक अधिकारी वन विकास निगम वाईके श्रीवास्तव का कहना है कि मजदूरों को मिलने वाले सुविधा को लेकर शासन से बात की गई थी. लेकिन अभी तक कोई बजट नहीं आ पाया. जिसके चलते मजदूरों को समान वितरण नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि वन विकास द्वारा रजिस्ट्रेशन के नाम पर मात्र ढाई सौ रुपए शुल्क लिया जाता है. अगर मजदूरों ने 500 शुल्क के नाम पर दिए हैं तो इस मामले की जांच कराई जाएगी.

Last Updated : Apr 15, 2019, 11:58 PM IST

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