उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

महाशिवरात्रि पर 100 साल बाद बन रहा ऐसा महायोग, मिलेगा मनोवांछित फल - महाशिवरात्रि के व्रत नियम

शुक्रवार को होने वाली महाशिवरात्रि को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस महाशिवरात्रि पूजा करने से 100 अवश्मेघ यज्ञ के फल की प्राप्ति होगी.

puja vidhi for maha shivratri
महाशिवरात्रि पर पूजा की विधि.

By

Published : Feb 20, 2020, 12:06 PM IST

हल्द्वानी: महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने की चतुर्दशी को मनाया जाता है. साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. 21 फरवरी यानी कल को महाशिवरात्रि पर इस बार महायोग बन रहा है. इसी योग में गुरु शुक्राचार्य ने शिव की तपस्या से मृत्यु संजीवनी मंत्र की प्राप्ति की थी.

महाशिवरात्रि पर पूजा की विधि.

इस बार चतुर्थी योग के साथ महाशिवरात्रि का योग बन रहा है. इस योग में रात्रि जागरण, शिव महापूजन का विशेष महत्व माना जाता है. जो भक्त इस योग में भगवान शिव की आराधना करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. 100 वर्ष बाद इस तरह का योग आता है. इसमें मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.

पढ़ें:उत्तराखंड में तख्तापलट की अफवाहों का बाजार गर्म, CM बोले- षड्यंत्र से जुड़ा है राजनीति का इतिहास

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि श्रवण नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा बहुत बड़ा योग माना जाता है. ऐसे में इस शिवरात्रि पर्व पर बड़ा महायोग बन रहा है. चतुर्थग्रही योग के साथ महाशिवरात्रि का योग बन रहा है. चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि प्रारंभ हो रही है, जिसमें शिव पूजन का विशेष महत्व माना जा जाता है.

ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस शिवरात्रि में भगवान शिव की आराधना करना 100 अवश्मेघ यज्ञ करने के बराबर होगा. शास्त्रों के अनुसार इस योग में दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने महा शिव पूजन योग में भगवान शिव की तपस्या कर मृत्यु संजीवनी मंत्र की प्राप्ति की थी.

जानें शिवरात्रि पर पूजा का शुभ-मुहूर्त

शुक्रवार शाम 5 बजकर 21 मिनट पर त्रयोदशी तिथि खत्म होने के बाद भगवान शिव के उपासना के लिए प्रथम पहर की पूजा सायं 6:10 से लेकर 9:14 तक की जाएगी. जिसके बाद दूसरा मुहूर्त 9:12 बजे से 12:00 बजे तक होगा. वहीं, 12:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक तीसरा मुहूर्त और रात्रि 2:00 बजे से लेकर 4:00 बजे तक चौथे पहर की पूजा होगी.

कैसे करें पूजा?

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के अनुसार पूरे दिन भगवान शिव के जल अभिषेक, फलाहार के बाद रात्रि पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इसे साधना और तपस्या की रात्रि भी कहा जाता है, जिसमें भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. इसमें मिट्टी के शिवलिंग बनाकर चारों पहर में पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है. दूध, दही, घी और शक्कर से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details