नैनीतालः भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड प्रदेश में कई स्थानों में भूकंप आने के बाद अब उत्तराखंड को भूकंप से होने वाली दिक्कतों और उसके बचाव को लेकर सचेत रहना होगा, क्योंकि अब प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आ सकता है. भूगर्भ शास्त्रियों का मानना है कि 150 से 200 साल के अंतर में हर बार एक बड़ा भूकंप आता है. आज से करीब 150 साल पहले विनाशकारी भूकंप आया था और अब जिस तरह से बड़ी तीव्रता के भूकंप आ रहे हैं, उनको देखकर लगता है कि भविष्य में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है.
भूगर्भ शास्त्रियों का कहना है कि पूर्व में आए भूकंप की अवधि लगभग 150 वर्ष पूरी हो गई है. ऐसे में बड़े भूकंप आने की संभावना है, मगर यह कहना कठिन है कि यह भूकंप कब आएगा और कहां आएगा, क्योंकि लंबी अवधि के दौरान टेक्टोनिक प्लेटों के स्थान बदलने से तनाव बनता है और धरती की सतह पर उसकी प्रतिक्रिया में चट्टानें फट जाती हैं.
दबाव बढ़ने के बाद 2 हजार किलोमीटर लंबी हिमालय श्रंखला के हर 100 किलोमीटर के क्षेत्र में उच्च तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है. आज से करीब चार करोड़ साल पहले हिमालय आज जहां है, वहां से भारत करीब 5 हजार किलोमीटर दक्षिण में था और इन घटनाओं के बढ़ने की वजह से धीरे-धीरे एशिया और भारत निकट आ गए. इससे हिमालय का निर्माण हुआ साथ ही महादेशीय चट्टानों का खिसकना सालाना 2 सेंटीमीटर की गति से जारी है और आज भारतीय धरती एशिया की धरती पर दबाव डाल रही है. जिससे दबाव पैदा होता है और इसी दबाव की वजह से बड़े विनाशकारी भूकंप आ रहे हैं.
वहीं, भूकंप के विशेष जानकार प्रोफेसर सीसी पंत बताते हैं कि भूकंप के हल्के झटके धरती के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं क्योंकि इनसे धरती के भीतर उपज रहे अतिरिक्त एनर्जी निकलती रहती है जिससे भूकंप खतरनाक साबित नहीं होते. उन्होंने बताया कि मध्य हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट का 55 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की गति से तिब्बत की ओर खिसक रही है, जिस कारण टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकरा रही है और इन प्लेटों के टकराने से जो एलर्जी निकल रही है वह भूकंप का कारण बन रही है. इस दृष्टि से नेपाल का बजाग क्षेत्र बेहद संवेदनशील है, जहां प्रतिदिन छोटे तीव्रता के भूकंप आ रहे हैं और कभी बड़ा भूकंप आ सकता है.