नैनीताल: हाईकोर्ट में वन क्षेत्राधिकारी संघ उत्तराखंड द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई में प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए. हाईकोर्ट ने पूर्व के आदेशों का पालन न होने पर पीसीसीएफ विनोद सिंघल को फटकार लगाई. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई.
मामले के अनुसार दिसंबर में वन क्षेत्राधिकारी संघ की ओर से याचिका दाखिल करते हुए कहा गया था कि उप रेंजरों को रेंज का चार्ज दिया जा रहा है. रेंज अधिकारियों को रेंज चार्ज से वंचित किया जा रहा है. इस मामले में उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उप रेजरों को यह चार्ज न देने व उन्हें यह चार्ज देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे, लेकिन, अब तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई है. प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल 23 मार्च को भी कोर्ट में पेश हुए थे. जिन्हें आज उन्हें पुनः कोर्ट में तलब किया गया था.
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कोर्ट में पेश हुए सिंघल से जब उच्च न्यायालय ने पूछा की उनके द्वारा उन अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई है जिन्होंने डेप्युटी रेंज ऑफिसर को रेंज ऑफिसर के पद का चार्ज दिया है, तो उनके द्वारा अवगत कराया गया कि 2017 से वह पीसीसीएफ नही हैं बल्कि वह पीसीसीएफ 2022 में ही बने हैं. 23 मार्च के कोर्ट के आर्डर के बाद उन्होंने ऐसे अफसरों को चिन्हित करने के लिए एक समिति बनाई है. इस पर उच्च न्यायालय ने सिंघल से पूछा की वह एक स्पष्ट समय सीमा बताएं, जब वह समिति की कार्यवाही कोर्ट में दाखिल कर पाएंगे. इस पर सिंघल कहा वह दो सप्ताह में समिति की कार्यवाही को पूरी कर लेंगे.
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हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर शपथपत्र दाखिल करने की निर्देश पीसीसीएफ विनोद सिंघल को दिए हैं. कोर्ट ने कहा अगर तीन सप्ताह में पीसीसीएफ आदेशों का अनुपालन नहीं करते हैं तो कोर्ट में उनको पुनः व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा. याचिकाकर्ता से भी अगली तिथि तक प्रति शपथपत्र पेश करने के लिए आदेश किया गया. मामले की अगली सुनवाई 15 जून को होगी.