नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा की ग्राम पंचायत सीमा में पूर्व ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी द्वारा निर्माण कार्यों में घपले की जांच व दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से 11 मई तक जवाब पेश करने को कहा है.
क्या है पूरा मामला:आज सुनवाई पर राज्य के मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने खंडपीठ को बताया कि इस मामले में जांच चल रही है. दोषियों से 54 हजार रुपये प्राप्त कर लिए गए हैं. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास बहुगुणा ने कहा कि इन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. जांच सही पाई गई है. परन्तु अभी तक इनके खिलाफ सरकार ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. मामले के अनुसार अल्मोड़ा की ग्राम पंचायत सीमा निवासी दीवान सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ग्राम पंचायत सीमा के ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा द्वारा ग्राम पंचायत में साल 2008 से 2019 के बीच हुए निर्माण कार्यों में सरकारी धन का घपला किया गया है. इसकी जांच कराने के लिए उनके द्वारा राज्य सरकार, जिला अधिकारी अल्मोड़ा व जिला पंचायत राज अधिकारी अल्मोड़ा को शिकायत की गई. उनकी शिकायत पर 21 अगस्त 2021 को जिला पंचायत राज अधिकारी ने पूरे प्रकरण की जांच हेतु आदेश जारी किए.
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योजनाओं में हेराफेरी: जांच के दौरान शिकायतकर्ता दीवान सिंह, पूर्व प्रधान बालम सिंह, वर्तमान प्रधान तारा बिष्ठ, सहायक विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, कनिष्ठ अभियंता मनरेगा व अन्य ग्रामवासी उपस्थित थे. कमेटी ने साल 2008 से 2019 के बीच हुए सभी निर्माण कार्यों की जांच की. जांच के दौरान शिकायतकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पूर्व ग्राम प्रधान ने बिना रेवेन्यू टिकट लगाए 4,23,356 रुपये की धनराशि फर्जी मस्टरोल भरकर स्वयं निकाल ली. मनरेगा हरियाली योजना के तहत उनके द्वारा 4,72,763 रुपये की धनराशि निकाली गई. जो श्रमिक निर्माण कार्य पर लगाये गए थे वे इस ग्राम पंचायत के न होकर नेपाली मजदूर थे. आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण साल 2015-2016 में हुआ. जिसको बनाने के लिए बाल विकास विभाग व मनरेगा ने 8,98,000 रुपये की धनराशि दी. उसके निर्माण में ग्राम प्रधान ने अकुशल श्रमिकों व घटिया सामग्री का उपयोग किया. इसकी वजह से केंद्र टूट चुका है. उनकी ग्राम पंचायत के पेयजल योजनाओं में भी हेराफेरी की गई है.
आरोपियों ने रखा पक्ष:पूर्व ग्राम प्रधान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 500 रुपए से कम के भुगतान करने के लिए रेवेन्यू टिकट की आवश्यकता नहीं है. उनके द्वारा कोई फर्जी मस्टरोल नहीं भरा गया है. ग्राम पंचायत में श्रमिक नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य पूरा करने के लिए उनके द्वारा बाहर से श्रमिक बुलाए गए. आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में उनके द्वारा उच्चकोटि की सामग्री व कुशल श्रमिक लगाए गए.
जांच कमेटी ने ये पाया: निर्माण कार्यों की स्थलीय जांच करने पर कमेटी ने पाया कि कई निर्माण कार्य क्षतिग्रस्त हो गए हैं. सीमा धारा के सौंदर्यीकरण के निर्माण में ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने कई मजदूरों को एक ही दिन दो अलग-अलग योजनाओं में कार्य करते हुए दिखाया. पेयजल टैंक मरम्मत की लागत 25,992 रुपये थी. उनके द्वारा जो मस्टोरल भरा गया वह 28,345 रुपये का भरा गया. कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई घपले पाए और इनसे रिकवरी के आदेश जारी किए.