नैनीतालः राज्य गठन के 20 साल बीत जाने के बाद भीमताल विधानसभा के धारी, मुक्तेश्वर और ओखल कांडा क्षेत्र में उप मंडी का निर्माण नहीं हो सका है, जिस वजह से पहाड़ के काश्तकारों को अपनी नकदी फसलों को मजबूरन हल्द्वानी भेजना पड़ रहा है, जहां पर काश्तकार अपनी फसलों को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. जिसके चलते काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ा है.
सरोवर नगरी नैनीताल अपने खूबसूरत वादियों के साथ फल उत्पादन को लेकर भी विशेष स्थान रखता है. नैनीताल जिले के धारी, रामगढ़, मुक्तेश्वर और ओखल कांडा क्षेत्र को फल उत्पादन के लिए भी जाना जाता है. इन क्षेत्रों में पुलम, आडू और खुमानी समेत अन्य फलों की बंपर पैदावार होती है. इन फलों की देशभर में मांग होती है. वहीं, दूसरी ओर धारी और ओखल कांडा क्षेत्र सब्जियों के लिए जाना जाता है. इन क्षेत्रों में उगने वाले फल और सब्जियां सालभर देश के विभिन्न कोने-कोने में भेजी जाती हैं.
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इतना ही नहीं भीमताल विधानसभा क्षेत्र की 90 फीसदी जनता काश्तकारी के जरिए अपना जीवन यापन करती है, लेकिन अफसोस की बात ये है कि यहां उप मंडियां नहीं हैं. ऐसे में काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि, सब्जी मंडी यहां से काफी दूर हल्द्वानी में स्थित है. जहां पर नकदी फसल पहुंचाना आसान नहीं होता है. स्थानीय काश्तकारों की मानें तो जब तक फसल मंडी पहुंचती है, तब तक फसल खराब हो जाती है. जबकि, उन्हें ट्रांसपोर्ट का खर्चा यानी भाड़ा भी ज्यादा देना पड़ता है.
स्थानीय काश्तकार राज्य सरकार से हर ब्लॉक में उप मंडी बनवाने की मांग कर रहे हैं. ताकि ग्रामीण अपने गांव में ही उगने वाली फल और फसल को इन उप मंडियों के माध्यम से बेच सके. जिससे गांव के काश्तकारों की फसल समय पर बिक सके, लेकिन आज तक इन ग्रामीणों की इस मूलभूत सुविधा की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है. राज्य बनने के बाद से बीजेपी और कांग्रेस ने बारी-बारी से प्रदेश में शासन किया, लेकिन किसी ने ग्रामीण क्षेत्र की सुध नहीं ली.