हल्द्वानी: कुछ सालों पहले तक गर्मियों में मिट्टी के घड़े का इस्तेमाल पानी को ठंडा रखने के लिए किया जाता था. लेकिन, आधुनिकता की दौड़ में मिट्टी के घड़े का स्थान फ्रिज और वाटर कूलर ने ले लिया है. मिट्टी के बर्तन का कारोबार करने वाले कुम्हार परिवार बदहाली की स्थिति से गुजर रहे हैं. गरीब का फ्रिज कहलाने वाला घड़ा अपनी पहचान दिनोंदिन खोता जा रहा है.
मिट्टी से बनने वाले घड़े समेत कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाले अन्य समानों का चलन काफी कम हो गया है. बदलते दौर और बदलते परिवेश के चकाचौंध में लोग पुरानी चीजों को भूलते जा रहे हैं. हल्द्वानी में कई कुम्हार परिवार हैं, जो पिछले कई दशकों से मिट्टी के बर्तनों का कारोबार करते आ रहे हैं. कुम्हार बताते हैं कि सालों पहले गर्मियों में इनके द्वारा बनाये जाने वाले मिट्टी के घड़ों की खूब डिमांड थी. गर्मियों में रोजाना 30 से 35 घड़े बिक जाते थे. लेकिन अब हालत ये हो गया है कि एक दिन में पांच से दस घड़े बेचना भी बहुत मुश्किल है.