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Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा को क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा? जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त - ऐसे मनाएं गुरु पूर्णिमा

आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. इस बार आषाढ़ मास की पूर्णिमा 3 जुलाई को है. इसे व्‍यास पूर्णिमा भी कहते हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को करीब 3000 ई. पूर्व हुआ था. उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए सनातन धर्म के लोग आषाढ़ पूर्णिमा को उनके जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाते आ रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदव्यास जी ने अपने शिष्यों को भागवतपुराण का ज्ञान दिया था.

Guru Purnima
गुरु पूर्णिमा

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Published : Jul 1, 2023, 10:23 AM IST

Updated : Jul 1, 2023, 11:55 AM IST

3 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा

हल्द्वानी:हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. आषाढ़ मास की पूर्णिमा 3 जुलाई सोमवार को मनाई जाएगी. मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आशीर्वाद से धन संपत्ति, सुख शांति और वैभव की प्राप्ति होती है. इस बार गुरु पूर्णिमा वाले दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य राजयोग भी बन रहा है.

ये है गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और शुभ योग. गुरु पूर्णिमा प्रारंभ 02 जुलाई, रात 08 बजकर 23 मिनट से होगी, जबकि समापन 03 जुलाई, शाम 05 बजकर 10 मिनट पर होगा. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार गुरु पूर्णिमा का व्रत 2 जुलाई रविवार को रखा जाएगा, जबकि गुरु पूर्णिमा गुरु पूजन 3 जुलाई सोमवार को किया जाएगा. प्राचीन काल से ही गुरु पूर्णिमा का अपने आप में बड़ा ही महत्व है. इसलिए अपने गुरुओं की पूजा करने और दीक्षा लेने का विशेष महत्व होता है.

महर्ष वेदव्यास माने जाते हैं प्रथम गुरु: सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है. क्योंकि सबसे पहले मनुष्य जाति को वेदों की शिक्षा उन्होंने ही दी थी. महर्षि वेदव्यास को 18 पुराणों का रचियता माना जाता है. इसीलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं के साथ साथ विशेष तौर पर महर्षि वेदव्यास की पूजा होती है.
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ऐसे मनाएं गुरु पूर्णिमा: पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के पूजाघर में पूजा अर्चना कर गुरुओं की प्रतिमा को चंदन तिलक लगायें. फूल अर्पित करें. इसके बाद गुरु के घर जाएं और उनकी पूजा कर उन्हें उपहार देते हुए आशीर्वाद लें. जिन लोगों के गुरु इस दुनिया में नहीं रहे, वे गुरु की चरण पादुका का पूजन करें. गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं के प्रति समर्पित होता है.

Last Updated : Jul 1, 2023, 11:55 AM IST

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