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भालों को देवता के रूप में पूजते हैं अखाड़े, रविंद्र पुरी बोले- आज शास्त्र और शस्त्र विद्या जरूरी - दशहरा का त्योहार

Shastra Puja in Haridwar प्राचीन काल से अखाड़ों में शस्त्रों को पूजने की पंरपरा है. यहां दशनामी संन्यासी सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों को देवता के रूप में पूजते हैं. इस बार भी अखाड़ों में पौराणिक और आधुनिक शस्त्रों यानी हथियारों का पूजन किया गया है.

Shastra Puja in Haridwar
हरिद्वार में शस्त्र पूजा

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 24, 2023, 3:43 PM IST

Updated : Oct 24, 2023, 4:14 PM IST

हरिद्वार में शस्त्रों का पूजन

हरिद्वारःपूरे देशभर में आज दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. दशहरे के दिन आदि गुरु शंकराचार्य की ओर से स्थापित दशनामी संन्यासी परंपरा के नागा संन्यासी अखाड़ों में शस्त्र पूजन का विधान है. नागा संन्यासी इस परंपरा का निर्वहन सदियों से करते आ रहे हैं. अखाड़ों में सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नाम के भालों को देवता के रूप में पूजा जाता है. दशनामी संन्यासी इन देवता रूपी भालों की पूजा पूरे विधि विधान से करते हैं. इस बार भी साधु संतों ने अपने-अपने अखाड़ों में शस्त्र पूजन किया.

दशहरा पर्व 2023 पर पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा कनखल में भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश नामक भाले को देवता के रूप में पूजा गया. साथ ही आज के युग के हथियार और प्राचीन काल के कई प्रकार के शस्त्रों की पूजा की गई. बता दें कि देव रूपी दोनों भाले कुंभ मेले के अवसर पर अखाड़ों की पेशवाई करते हैं और आगे-आगे चलते हैं. इन भालाओं का कुंभ के शाही स्नानों में सबसे पहले गंगा स्नान कराया जाता है. उसके बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर जमात के महंत और अन्य नागा साधु स्नान करते हैं.

हरिद्वार में शस्त्र पूजन
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पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि दशहरे के दिन हम अपने देवताओं और शस्त्रों की पूजा करते हैं. राष्ट्र की रक्षा के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने शास्त्र और शस्त्र की परंपरा की स्थापना की थी. हमारे देवी और देवताओं के हाथों में भी शास्त्र व शस्त्र दोनों विराजमान हैं. आज ही के दिन यानी दशहरा पर भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था. इसके अलावा वैदिक परंपरा में शक्ति पूजन की विशेष परंपरा भी रही है.

हरिद्वार में शस्त्र पूजा

शास्त्र के साथ शस्त्र विद्या जरूरीः रविंद्र पुरी ने कहा कि सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश उनके भाले हैं. जिनका स्नान कुंभ मेले में कराया जाता है. दशहरा पर उनका विशेष पूजन किया जाता है. संन्यासियों को शास्त्र और शस्त्र में निपुण बनाने के लिए शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना की थी. ताकि, धर्म की रक्षा की जा सके. जो संन्यासी शास्त्र में निपुण थे, उनको शस्त्रों में भी आदि गुरु शंकराचार्य ने निपुण किया था. यही वजह है कि शास्त्र के साथ शस्त्रों की पूजा करना भी आवश्यक है, क्योंकि बिना शक्ति और शस्त्र के भी हम चल नहीं सकते हैं. वैदिक परंपरा में विधान रहा है कि किसी भी युद्ध में बिना शस्त्र से लड़ा नहीं जा सकता है.

Last Updated : Oct 24, 2023, 4:14 PM IST

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