हरिद्वारः कोरोना महामारी दूसरी लहर में कहर बरपा चुकी है. अब तीसरी लहर के परवान चढ़ने पर सरकार ने गाइडलाइन भी जारी की, लेकिन चुनावी सीजन में इन नियमों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं. आम लोगों पर कई नियम थोपे गए हैं. ऐसे में अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ चालान की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन नेताओं और उनके समर्थकों पर शायद ही कोई नियम लागू होता हो. ऐसा चुनावी कैंपेन में बिना मास्क के भीड़ को देखकर लग रहा है.
दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही वक्त बचा है. ऐसे में नेता जोर शोर से प्रचार प्रसार में जुटे हैं. चुनावी कैंपेन के दौरान न तो किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और न ही भीड़ में मौजूद लोग और प्रत्याशी मास्क लगाए नजर आ रहे हैं. आलम ये है कि यह सब पुलिस प्रशासन की नजरों के सामने हो रहा है, लेकिन पुलिस प्रशासन भी कार्रवाई करने से लाचार नजर आ रहा है. आखिर नेता हैं तो पुलिस भी कार्रवाई करने से भी कतरा रही है.
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उधर, प्रदेश में कोरोना की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. मंगलवार की बात करें तो बीते 24 घंटे के भीतर 18 मरीजों की मौत हुई है. साथ ही प्रदेश में 1840 नए कोरोना पॉजिटिव भी मिले हैं. ऐसे में एक्टिव केसों की संख्या 26,814 हो गई है. एक जनवरी 2022 से लेकर अभीतक प्रदेश में 78,141 मामले सामने आ चुके हैं. जबकि, एक जनवरी से अभीतक 146 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. ये आंकड़े बताते हैं कि कोरोना का खतरा टला नहीं है.
वहीं, चुनाव प्रचार के दौरान थोड़ी सी भी लापरवाही घातक साबित हो सकती है. कोरोना के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए चुनाव आयोग की तरफ से कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है, लेकिन कहीं भी इन गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. चुनाव आयोग ने चंद लोगों के साथ चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी है, लेकिन गली मोहल्लों में तमाम पार्टियों के प्रत्याशी पूरी भीड़ के साथ घर घर जा रहे हैं. यह प्रत्याशी न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही कोई मास्क का ही प्रयोग कर रहा है.