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गंगा स्कैप चैनल शासनादेश रद्द होने के बाद उठ रहे सवाल, आखिर क्यों जानिए वजह?

अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने आरोप लगाया है कि पूर्ववर्ती और वर्तमान दोनों सरकारों ने इस शासनादेश की आड़ में गंगा किनारे कई अवैध निर्माण करवाकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों के आदेशों का उल्लंघन किया है.

स्कैप चैनल आरोप
स्कैप चैनल आरोप

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Published : Dec 6, 2020, 10:53 PM IST

Updated : Dec 7, 2020, 3:10 PM IST

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा की धारा को स्कैप चैनल बताने वाले शासनादेश के निरस्त होने के बाद एक बार फिर इस आदेश पर सवाल उठने लगे हैं. अखिल भारतीय ओबीसी महासभा का आरोप है कि साल 2016 में गंगा को धारा को स्कैप चैनल घोषित करने वाला शासनादेश पारित कर तत्कालीन सरकार ने पाप किया था लेकिन, वर्तमान सरकार ने इस शासनादेश को निरस्त कर शब्दों में हेरफेर कर महापाप किया है.

गंगा स्कैप चैनल शासनादेश रद्द होने के बाद उठ रहे सवाल

अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजय सिंह पाल का आरोप है कि दोनों सरकारों ने इस शासनादेश की आड़ में गंगा किनारे कई अवैध निर्माण करवाकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का उलंघन किया है. पाल ने कहा कि हरिद्वार में कुशावर्त घाट के होलकर बाड़ा पर हुए कब्जे को खाली कराने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के आदेश का पालन भी उत्तराखंड सरकार नहीं कर रही है.

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अखिल भारतीय ओबीसी महासभा का कहना है कि गंगा किनारे अवैध निर्माण करने वाले लोगों की लिस्ट हरीश रावत के पास है और उत्तराखंड सरकार को भी इसकी जानकारी है. बावजूद इसके तत्कालीन और वर्तमान सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर अवैध निर्माण करने वालों को संरक्षण देने का काम किया है.

ऐसे में महासभा की मांग है कि साल 2016 से ये शासनादेश निरस्त होने की तारीख तक गंगा किनारे हुए सभी निर्माणों को तोड़ा जाए और यदि उनकी ये मांग पूरी नहीं होती तो वे न्यायालय की शरण लेने से भी नहीं चूकेंगे.

Last Updated : Dec 7, 2020, 3:10 PM IST

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