देहरादून:क्या आप अपने दिल की सुनते हैं, यदि नहीं तो सावधान हो जाइए, हो सकता है आपका दिल किसी खतरे का सिग्नल दे रहा हो. 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस है. इस मौके पर हम आपको दिल की उस भाषा को बता रहे हैं, जो स्वस्थ हृदय से जुड़ी है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...
आजकल लोगों का रहन सहन, खान-पान या कहें कि पूरी जीवन शैली ही बेहद तेजी से बदल रही है. चिंता ये है कि इस बदलाव के साथ कई ऐसे खतरे भी आ रहे हैं, जो लोगों की जिंदगियों को खत्म कर रहे हैं. ऐसा ही एक बड़ा खतरा आपके दिल से जुड़ा है.
दरअसल, दुनियाभर में भारत ऐसा देश है, जहां दिल के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. एक आंकलन के अनुसार देश में करीब 4.5 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीड़ित है. जबकि इससे मरने वालों की संख्या में 34 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी भी आंकी गई है. अब सवाल ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है. तो इसका जवाब वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय देते हैं. डॉ. अमर उपाध्याय बताते हैं कि आज लोगों की जीवनशैली बदल गयी है. खान-पान से लेकर रहन-सहन और इच्छा शक्ति तक में बदलाव आया है. नतीजतन शारिरिक तौर पर सक्रियता कम हुई है. खान-पान में फास्ट फूड, ऑयल का ज्यादा उपयोग जैसी चीजें शामिल है. जीवन में तनाव बढ़ा है और नशीले पदार्थों का उपयोग भी बढ़ा. है. रही सही कसर पर्यावरण प्रदूषण ने पूरी कर दी. इसके अलावा शुगर और हाई कोलेस्ट्रोल भी दिल के लिए मुसीबत बना है. जिससे भारतीयों के दिल बीमारियों की चपेट में आते गए.
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हृदय रोग से जुड़ी सबसे बड़ी चिंता अब ये है कि युवा वर्ग भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहा है. जबकि पहले हार्ट अटैक एक उम्र के बाद ही आने की बात मानी जाती थी. अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के लिहाज से डॉक्टर अमर उपाध्याय बताते हैं कि प्रत्येक 100 मरीजों में 25 मरीज 40 साल से कम उम्र के आ रहे हैं. देश में हर मिनट 4 लोगों की मौत हार्ट अटैक से होती है. इसमें हर दिन 900 लोग 30 साल से कम उम्र के होते हैं.