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घाटे में फंसे उत्तराखंड परिवहन निगम को पथिक यात्री मोबाइल एप का सहारा, इस साल लग चुकी है 18 करोड़ से ज्यादा की चपत - उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज

Uttarakhand Transport Corporation in loss उत्तराखंड परिवहन निगम को घाटे से उबारने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. यही कारण है कि अपनी स्थापना के करीब 20 साल बाद भी उत्तराखंड परिवहन निगम घाटे के दलदल में फंसता ही जा रहा है. उत्तराखंड परिवहन निगम की खस्ता हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निगम के बेड़े में 900 बसें हैं, जिसमें से 600 बसें ऐसी हैं, जिनकी मियाद पूरी हो चुकी है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 1, 2023, 12:39 PM IST

Updated : Nov 1, 2023, 1:57 PM IST

देहरादून: अपने गठन के 20 साल बाद भी उत्तराखंड परिवहन निगम लाभ कमाने के बजाय घाटे के बोझ में दबता ही जा रहा है. साल दर साल उत्तराखंड परिवहन निगम का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. कई बार तो ऐसी स्थितियां भी आ चुकी हैं कि उत्तराखंड परिवहन निगम के पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं होते हैं. हालांकि उत्तराखंड परिवहन निगम लगातार अपने आप को घाटे से उबारने का प्रयास कर रहा है.

31 अक्टूबर को उत्तराखंड परिवहन निगम ने अपने 20वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान उत्तराखंड परिवहन निगम ने पथिक- यात्री मोबाइल एप, ईटीएम आधारित काउंटर (क्यूआर कोड सहित), बुकिंग सुविधा और कॉमन सर्विस सेंटर/एजेंट आधारित सेवाओं का शुभारंभ किया.
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यात्रियों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं: इन सुविधाओं के शुरू होने के बाद अब यात्री घर बैठे ही पथिक यात्री मोबाइल एप के जरिए टिकट बुक कर सकेंगे. इसके साथ ही यात्री अब ऑनलाइन क्यूआर कोड के जरिए पेमेंट कर टिकट बुक कर सकेंगे. इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान बेहतर काम करने वाले चालकों और परिचालकों को सम्मानित भी किया गया.

उत्तराखंड परिवहन निगम का घाटा

20 साल बाद भी घाटे से नहीं उबरा उत्तराखंड परिवहन निगम:उत्तराखंड राज्य गठन के करीब तीन साल बाद साल 2003 में यूपी परिवहन निगम से अलग कर उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन किया गया था. साल 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम में 7100 नियमित और 800 के करीब संविदा और दैनिक वेतन भोगी कार्मिक कार्यरत थे.

उत्तराखंड परिवहन निगम का घाटा
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घाटे के दलदल में फंसता गया उत्तराखंड परिवहन निगम: राज्य बंटवारे के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम के हिस्से में 957 बसें आई थी, जो सभी पुरानी थीं. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की चार केंद्रीय परिसंपत्तियों में उत्तराखंड परिवहन निगम का हिस्सा 13.34 प्रतिशत ही तय किया गया था. हालांकि प्रदेश को उम्मीद थी कि वक्त के साथ उत्तराखंड परिवहन निगम कमाई और यात्रियों की सुविधा के नए-नए कीर्तिमान स्थापित करेगा, लेकिन वक्त के साथ उत्तराखंड परिवहन निगम घाटे के दलदल में फंसता चला गया.

उत्तराखंड परिवहन निगम का स्थापना दिवस.

नियमित कर्मचारियों की संख्या घटी: एक समय में जहां उत्तराखंड परिवहन निगम के पास 7100 नियमित कर्मचारी थे, उनकी संख्या घटकर 2500 के आसपास हो गई है. वहीं, संविदा और दैनिक वेतन भोगी कार्मिकों की संख्या 3500 के आसपास है. इसके अलावा परिवहन निगम के बस बेड़े में करीब 950 अपनी और 350 अनुबन्धित बसें हैं, जिनका संचालन हो रहा है.
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600 बसों की हो चुकी मियाद पूरी:उत्तराखंड परिवहन निगम की खस्ताहाल स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निगम के बेड़े में जो 950 बसें हैं, उनमें से 600 बसें ऐसी हैं, जिनकी मियाद पूरी होने वाली है. बावजूद इसके परिवहन निगम बस बेड़े को बढ़ाने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए परिवहन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन ने कहा कि फिलहाल 150 नई बसें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है. इसके साथ ही आय को बढ़ाने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे है.

Last Updated : Nov 1, 2023, 1:57 PM IST

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