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उत्तराखंड में पहली बार हिमनद को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ा जाएगा, जानिए फायदा - हिमनद को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ा जाएगा

उत्तराखंड अनेक नदियों का उद्गम स्थल है. यहां की नदियां सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन का प्रमुख संसाधन हैं. पहली बार उत्तराखंड में ग्लेशियर आधारित नदियों को वर्षा-सिंचाई आधारित नदियों से जोड़ने का काम होने जा रहा है.

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हिमनद को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ा जाएगा

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Published : Jun 11, 2022, 1:26 PM IST

Updated : Jun 11, 2022, 1:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड दो प्रमुख भागों में बंटा हुआ है. पूर्व में बसे छोटे हिस्से को कुमाऊं कहते हैं. दूसरा बड़ा हिस्सा गढ़वाल के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड के गढ़वाल में बड़े-बड़े ग्लेशियर पाए जाते हैं. इन ग्लेशियर से ही कई नदियों का उद्गम होता है. पहली बार उत्तराखंड में ग्लेशियर आधारित नदियों को वर्षा-सिंचाई आधारित नदियों से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

इस परियोजना के तहत सुंदरढूंगा, शंभू और पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली 105 किलोमीटर लंबी पिंडर नदी की प्रमुख सहायक नदियों को बागेश्वर जिले की बैजनाथ घाटी में गोमती नदी और कोसी के साथ-साथ अल्मोड़ा में गंगा नदी से जोड़ा जाएगा.

देश में अपनी तरह की इस पहली परियोजना के जरिए उत्तराखंड में ग्लेशियर आधारित नदियों को सामान्य वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने की कवायद शुरू की है. जिसके तहत कुमाऊं क्षेत्र में पिंडारी ग्लेशियर से निकली पिंडर नदी को बागेश्वर और अल्मोड़ा में वर्षा-सिंचित नदियों से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है.

उत्तराखंड पेयजल विभाग के सचिव नीतीश झा ने बताया कि विशेषज्ञों की एक टीम ने 8 जून को परियोजना के लिए उन बिंदुओं की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू किया है, जहां से पानी निकाला जा सकता है. शुरुआती विश्लेषण का काम एक साल के भीतर पूरा होने की संभावना है, जिसके बाद हम आवश्यक मंजूरी लेने के लिए केंद्र को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजेंगे. दो साल बाद राज्य सरकार इस योजनाओं को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकती है.

परियोजना की खासियत बताते हुए उत्तराखंड पेयजल विभाग के सचिव नीतीश झा ने कहा कि कोसी नदी अल्मोड़ा और नैनीताल जिले की जीवन रेखा है. घरों के साथ-साथ कृषि क्षेत्रों में आपूर्ति के लिए हमारे पास कम से कम 10-12 पानी पंपिंग स्टेशन हैं. लेकिन जलस्तर कम होने से उन स्टेशनों पर खतरा मंडरा रहा है.

उत्तराखंड में हिमनद को दूसरी नदियों से जोड़ने का फायदा: हिमनद को दूसरी नदियों से जोड़ने से पानी और सिंचाई की समस्या का स्थायी समाधान निकल सकता है. इससे उत्तराखंड में सिंचित क्षेत्र में विस्तार हो सकता है. इससे किसानों को खेती के लिए मॉनसून पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और साथ ही बाढ़ या सूखे के समय पानी की अधिकता या कमी को दूर किया जा सकेगा. जल ऊर्जा के रूप में सस्ती स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त होगी और नहरों का विकास होगा. बड़े पैमाने पर वनीकरण होगा और ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के लिए खेती आसान हो जाएगी.

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पिंडर नदी की खासियत: पिंडारी ग्लेशियर और इससे निकलने वाली पिंडर नदी जल संसाधन की दृष्टि से अहम है. पिंडर नदी हिमालय के नंदादेवी शिखर के पास से निकलकर कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी से आकर मिलती है. जो इसका रास्ता है, वहां आसपास के जलस्रोत रिचार्ज करने में इसकी बड़ी भूमिका है.

ग्लेशियर (Glacier) को हिंदी में हिमनद (River of Ice) कहते हैं. यानी बर्फ की नदी, जिसका पानी ठंड के कारण जम जाता है. हिमनद में बहाव नहीं होता. अमूमन हिमनद जब टूटते हैं तो स्थिति काफी विकराल होती है. क्योंकि बर्फ पिघलकर पानी बनता है और उस क्षेत्र की नदियों में समाता है. ऐसे में इन हिमनदों को दूसरी नदियों से जोड़ने पर नदियों का बहाव नियंत्रित रहेगा और चमोली की रैंणी आपदा से घटनाओं की पुनरावृत्ति भी नहीं हो सकेगी.

उत्तराखंड अनेक नदियों का उद्गम स्थल है. यहां की नदियां सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन का प्रमुख संसाधन हैं. इन नदियों के किनारे अनेक धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हैं. हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल मुख्य हिमालय की दक्षिणी श्रेणियां हैं.

गंगोत्री हिमनद से निकलती है गंगा: गंगा का अस्तित्व अपनी सहायक अलकनंदा, भागीरथी, पिंडर, नंदाकिनी, मंदाकिनी आदि नदियों से है. अलकनंदा की सहायक नदी धौली, विष्णु गंगा तथा मंदाकिनी है. गंगा नदी, भागीरथी के रूप में गौमुख स्थान से 25 किमी लंबे गंगोत्री हिमनद से निकलती हैं. भागीरथी और अलकनंदा देव प्रयाग में संगम करती हैं, जिसके पश्चात वह गंगा के रूप में पहचानी जाती है.

प्रमुख नदियां: यमुना नदी का उद्गम क्षेत्र बंदरपूंछ के पश्चिमी यमुनोत्री हिमनद से है. रामगंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले दूधातोली पहाड़ी की दक्षिणी ढलानों में होता है. नदी का स्रोत, जिसे "दिवालीखाल" कहा जाता है, गैरसैंण तहसील में 30º 05' अक्षांश और 79º 18' देशांतर पर स्थित है. नदी गैरसैंण नगर के बगल से होकर बहती है, हालांकि नगर उससे काफी ऊंचाई पर स्थित है. यह चौखुटिया तहसील में एक गहरी और संकरी घाटी द्वारा कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले में प्रवेश करती है.

वहां से उतरते हुए यह दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ती है और लोहाबागढ़ी की दक्षिण-पूर्वी सीमा के चारों ओर व्यापक रूप से घूमते हुए तड़ागताल नदी को प्राप्त करती है. इसके बाद यह उसी दिशा में आगे बढ़ती है और गनाई पहुंचती है, जहां इसमें दूनागिरी से निकली खरोगाड़ बाईं ओर से और पंडनाखाल से आयी खेतासारगढ़ दाईं ओर से आकर मिलती हैं. सोंग नदी देहरादून के दक्षिण पूर्वी भाग में बहती हुई वीरभद्र के पास गंगा नदी में मिल जाती है. इनके अलावा राज्य में काली, रामगंगा, कोसी, गोमती, टोंस, धौली गंगा, गौरीगंगा, पिंडर नयार(पूर्व) पिंडर नयार (पश्चिम) आदि प्रमुख नदियां हैं.

Last Updated : Jun 11, 2022, 1:35 PM IST

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