देहरादूनः लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड का सबसे लंबा सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार हो चुका है. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी ऋषिकेश में महत्त्वकांक्षी योजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का पहले रेलवे स्टेशन का भी शुभारंभ करेंगे. हालांकि, अभी उद्घाटन वर्चुअल या फिर विधिवत रूप से किया जाएगा, ये तय नहीं किया गया है, लेकिन इस पुल के बनने से अब कई सालों से लंबा सफर तय कर टिहरी पहुंचने वाले ग्रामीणों को काफी राहत मिलेगी.
टिहरी बांध के ऊपर बने इस पुल की कहानी भी काफी दिलचस्प है. क्योंकि, इस पुल को बनाने में 13 साल से ज्यादा का वक्त लग चुका है. टिहरी बांध बनने से उत्तराखंड की नहीं, बल्कि पूरे देश का फायदा हुआ है. इस बांध से किसी राज्य को बिजली मिली तो किसी राज्य को पीने का पानी मिल रहा है, लेकिन टिहरी के ही कुछ ऐसे गांव थे, जिनकी दूरी जो पहले मात्र कुछ किलोमीटर की थी. वो सैकड़ों किलोमीटर में तब्दील हो गई थी. उत्तराखंड के टिहरी जिले के डोबरा और चांठी दो ऐसे गांव हैं. जिनके बीच दूरी तो आधा किलोमीटर भी नहीं है, लेकिन बीते 13 सालों से इस गांव का मिलन नहीं हो पाया.
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इसका सबसे बड़ा कारण टिहरी बांध के बाद बनने वाली 42 किलोमीटर की लंबी झील थी. टिहरी झील बनने से इन दोनों गांवों के बीच के सभी पुल डूब गए और झील की चौड़ाई इतनी ज्यादा थी कि कोई भी छोटा पुल बनाकर गांव में आवाजाही नहीं की जा सकती थी. हालात इतने खराब थे कि लोग चांठी गांव में अपनी लड़कियां भी बिहाने के लिए तैयार नहीं थे. क्योंकि, लोगो का मानना है कि 'जहां रास्ता नहीं वहां रिश्ता नहीं'.
2006 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण कार्य
डोबरा-चांठी वासियों की दर्द को समझना भी मुश्किल है. क्योंकि, इस पुल का इंतजार ग्रामीणों ने सालों से किया है. टिहरी जिला मुख्यालय से प्रतापनगर क्षेत्र को जाने के लिए लोगों को 100 किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ता था. कई घंटों के सफर के बाद लोग टिहरी से प्रताप नगर पहुंचते थे. लिहाजा, इस झूला पुल की जरुरत को देखते हुए साल 2006 से पुल का निर्माण शुरू किया गया. जो अब लगभग बनकर तैयार हो गया है.