देहरादून: उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल के सचिव बीके संत (Uttarakhand Governor's Secretary BK Sant) ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंपा है. बीते कुछ दिनों से राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस्तीफा देने की खबरें चल रही थीं. 15 दिन पहले मीडिया से बातचीत करते हुए अपने 3 साल के कार्यकाल की उन्होंने जानकारी दी थी. बेबी रानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल के तौर पर बीती 26 अगस्त को अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं.
दो दिन पहले नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफा देने की चर्चाएं तेज होने लगी थीं. सूत्रों की मानें तो आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बेबी रानी मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो सकती हैं. तीन साल पहले उत्तराखंड में राज्यपाल की कमान संभालने वालीं बेबी रानी मौर्य प्रदेश की दूसरी महिला राज्यपाल थीं, उनसे पहले मारग्रेट आल्वा प्रदेश की राज्यपाल रह चुकी थीं.
बेबी रानी मौर्य:इनका जन्म 15 अगस्त 1956 को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ. बेबी रानी मौर्य 26 अगस्त 2018 से उत्तराखंड की सातवीं राज्यपाल के तौर पर कार्यरत रहीं. 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य के तौर पर सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने वाली मौर्य 1995 से 2000 तक आगरा की महापौर, फिर 2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं. वर्ष 1997 में वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा राम नाथ कोविंद जी के साथ बतौर कोषाध्यक्ष कार्य कर चुकी हैं. वर्ष 2001 में प्रदेश, सामाजिक कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रह चुकी हैं.
सम्मान:बेबी रानी मौर्य को वर्ष 1996 में सामाजिक कार्यों के लिए समाज रत्न पुरस्कार मिला, 1997 में उत्तर प्रदेश रत्न और 1998 नारी रत्न सम्मान मिला है.
उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के पद से त्यागपत्र देने से आगरा की राजनीति में खलबली मच गई है. माना जा रहा है कि, वे फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकती हैं. जिससे अब 2022 विधानसभा चुनाव में जिले की छावनी और आगरा ग्रामीण विधासभा सीट के दावेदारों का गणित गड़बड़ा रहा है. क्योंकि, राज्यपाल बनने से पहले बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर रह चुकी हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा था.
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