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उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का इस्तीफा, यूपी BJP में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा है. माना जा रहा है कि बेबी रानी मौर्य यूपी विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाएंगी.

Baby Rani Maurya
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Published : Sep 8, 2021, 12:51 PM IST

Updated : Sep 8, 2021, 7:21 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल के सचिव बीके संत (Uttarakhand Governor's Secretary BK Sant) ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंपा है. बीते कुछ दिनों से राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस्तीफा देने की खबरें चल रही थीं. 15 दिन पहले मीडिया से बातचीत करते हुए अपने 3 साल के कार्यकाल की उन्होंने जानकारी दी थी. बेबी रानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल के तौर पर बीती 26 अगस्त को अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं.

दो दिन पहले नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफा देने की चर्चाएं तेज होने लगी थीं. सूत्रों की मानें तो आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बेबी रानी मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो सकती हैं. तीन साल पहले उत्तराखंड में राज्यपाल की कमान संभालने वालीं बेबी रानी मौर्य प्रदेश की दूसरी महिला राज्यपाल थीं, उनसे पहले मारग्रेट आल्वा प्रदेश की राज्यपाल रह चुकी थीं.

बेबी रानी मौर्य:इनका जन्म 15 अगस्त 1956 को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ. बेबी रानी मौर्य 26 अगस्त 2018 से उत्तराखंड की सातवीं राज्यपाल के तौर पर कार्यरत रहीं. 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य के तौर पर सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने वाली मौर्य 1995 से 2000 तक आगरा की महापौर, फिर 2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं. वर्ष 1997 में वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा राम नाथ कोविंद जी के साथ बतौर कोषाध्यक्ष कार्य कर चुकी हैं. वर्ष 2001 में प्रदेश, सामाजिक कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रह चुकी हैं.

सम्मान:बेबी रानी मौर्य को वर्ष 1996 में सामाजिक कार्यों के लिए समाज रत्न पुरस्कार मिला, 1997 में उत्तर प्रदेश रत्न और 1998 नारी रत्न सम्मान मिला है.

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के पद से त्यागपत्र देने से आगरा की राजनीति में खलबली मच गई है. माना जा रहा है कि, वे फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकती हैं. जिससे अब 2022 विधानसभा चुनाव में जिले की छावनी और आगरा ग्रामीण विधासभा सीट के दावेदारों का गणित गड़बड़ा रहा है. क्योंकि, राज्यपाल बनने से पहले बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर रह चुकी हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा था.

पढ़ें: उत्तराखंड में कोई भी राज्यपाल पूरा नहीं कर सका कार्यकाल, ऐसा रहा इतिहास

1995 में बनी थीं आगरा की मेयर

बता दें कि, बेबी रानी मौर्य 22 अगस्त 2018 को उत्तराखंड की राज्यपाल बनाई गई थीं. उससे पहले वे सक्रिय राजनीति कर रही थीं. सन 1995 में भाजपा में शामिल हुई थीं और उसी साल भाजपा ने उन्हें नगर निगम चुनाव में मेयर पद का प्रत्याशी बनाया था. नगर निगम चुनाव जीतकर बेबी रानी मौर्य आगरा की पहली महिला मेयर बनी थीं. सन 1997 में भाजपा की राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. सन 2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं. इसके बाद 2007 में भाजपा ने बेबी रानी मौर्य को एत्मादपुर विधानसभा सीट से मैदान में उतरा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद सन 2018 में उन्हें बाल अधिकार सरंक्षण आयोग का सदस्य बनाया गया था.

बेलनगंज में मायका, करिअप्पा रोड पर ससुराल

उत्तराखंड की रहीं राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के पति प्रदीप कुमार पंजाब नेशनल बैंक में डायरेक्टर एवं सीनियर मैनेजर पद से सेवानिवृत्त हैं. बेबी रानी के दो बच्चे पुत्र अभिनव और बेटी अंजू मौर्य हैं. बेटा और बेटी अमेरिका में रहते हैं. बेबी रानी मौर्य का मायका आगरा के बेलनगंज में हैं, जबकि उनकी ससुराल बालूगंज के करिअप्पा रोड पर है.

यूं मची खलबली

पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पिछले दिनों अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था. दो दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात हुई और उसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. माना जा रहा है कि, भाजपा उन्हें बसपा प्रमुख मायावती के सामने उतार रही है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखकर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है.

उनके इस्तीफा से यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि, वे आगरा से विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं. ऐसे में आगरा में तीन सीट हैं, जिन पर बेबी रानी मौर्य को भाजपा प्रत्याशी बना सकती है. यह विधानसभा आगरा ग्रामीण, छावनी और एत्मादपुर है. क्योंकि, लगातार इन तीनों ही विधानसभा सीट के विधायकों की भाजपा के आंतरिक सर्वे में ​टिकट कटने की संभावना है. इसलिए आगरा के भाजपाइयों में खलबली मच गई है. इनमें एक विधायक तो योगी सरकार में राज्यमंत्री भी हैं.

Last Updated : Sep 8, 2021, 7:21 PM IST

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