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नए DGP का ऐलान, पीड़ितों को न्याय देने में बाधा बनने वाले पुलिसकर्मी होंगे दंडित

11वें पुलिस महानिदेशक का पदभार ग्रहण करने वाले अशोक कुमार ऐसे पहले डीजीपी हैं, जिन्होंने राज्य की पुलिस को देश की सर्वोच्च पुलिस की सूची में लाने के दृष्टिगत कई अहम निर्णयों को लेकर पहले दिन ही सर्कुलर जारी कर दिया है. इसके साथ ही उनकी नई टीम में दो वरिष्ठ आईपीएस को पुलिस मुख्यालय का प्रवक्ता नियुक्त किया गया है.

देहरादून
नए कप्तान की नई टीम

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Published : Dec 1, 2020, 7:44 AM IST

Updated : Dec 1, 2020, 12:10 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक का पदभार ग्रहण करते ही अशोक कुमार ने राज्य की पुलिस को देश की सर्वोच्च पुलिसिंग की सूची में लाने का वादा किया है. उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि अब उनके कार्यकाल में जो भी पुलिसकर्मी पीड़ितों को न्याय दिलाने के दौरान बाधा बनेगा, उसको हर हाल में दंडित किया जाएगा. इतना ही नहीं डीजीपी ने कहा कि थाना चौकियों में पीड़ितों की सुनवाई न करने वाले पुलिसकर्मियों को तत्काल ही जिम्मेदारी से हटाते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी. डीजीपी ने सर्कुलर जारी कर पुलिसकर्मियों को अच्छी पुलिसिंग व्यवस्था अपनाकर जनता से जुड़ी समस्याओं का निस्तारण करने के आदेश दिए हैं.

डीजीपी अशोक कुमार ने संभाला पदभार

नवनियुक्त डीजीपी की टीम में दो अफसरों को मिली यह बड़ी जिम्मेदारी

उत्तराखंड के 11वें पुलिस महानिदेशक के रूप में कमान संभालने वाले डीजीपी अशोक कुमार ने अपनी प्रमुख टीम में दो आईपीएस अधिकारियों को बाकायदा अपने प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया है. जेल आईजी और लॉ एंड ऑर्डर सहित अभिसूचना तंत्र की कमान संभाल रहे महानिरीक्षक एपी अंशुमान को पुलिस मुख्यालय का प्रमुख मीडिया प्रवक्ता नियुक्त किया गया है. उनके सहयोग के लिए उप महानिरीक्षक आईपीएस नीलेश आनंद भरणे को उप प्रवक्ता मुख्यालय नियुक्त किया गया है. हालांकि, दोनों ही अधिकारी अपने वर्तमान पदभार के साथ-साथ अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी का भी अलग से निर्वहन करेंगे.

अशोक कुमार द्वारा अपर पुलिस अधीक्षक जया बलूनी को भी अपनी प्रमुख सहयोगी टीम में शामिल किया गया है. जया बलूनी वर्तमान में अपराध व कानून व्यवस्था मुख्यालय के कार्य की जिम्मेदारी निभा रही हैं. ऐसे में वह भी पुलिस महानिदेशक के सहायक के तौर पर अतिरिक्त दायित्वों का भी निर्वहन करेंगी.

पुलिस को दिए गए अधिकार पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हैं: डीजीपी

डीजीपी कुमार ने कहा कि जनता की सेवा और न्याय दिलाने के लिए पुलिस को संविधान से वर्दी, शस्त्र और कानूनी कार्रवाई (एफआईआर और गिरफ्तारी) जैसे तीन महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं. यह तीनों अधिकार गरीबों की सहायता, पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हैं. इनका सदुपयोग हर हाल में किया जाना अब सुनिश्चित किया गया है. अगर ऐसा नहीं होता तो जांच उपरांत आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. हालांकि, दूसरी तरफ अच्छा कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित और पुरस्कृत किया जाएगा.

जनता में विश्वास और अपराधियों में खौफ हो: डीजीपी

डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस को संविधान से 3 तरह के अधिकार मिले हैं. जिनके तहत पुलिस को हर हाल में अपराधियों पर शिकंजा कसना होगा. इसके लिए स्मार्ट पुलिसिंग की व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है, जिससे अपराधियों के अंदर खौफ पैदा हो और जनता के प्रति विश्वास और मित्रता की भावना.

पुलिस जन समाधान समिति का गठन

डीजीपी अशोक कुमार द्वारा पदभार ग्रहण करते ही पुलिस मुख्यालय में आईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में "पुलिसजन समाधान समिति" का गठन किया है. जिसका कार्य राज्य भर के पुलिसकर्मियों की समस्या का निस्तारण करना होगा. पुलिस सेवा में किसी भी तरह की समस्या या अन्य तरह की शिकायत के लिए पुलिस समाधान सेल 1 सप्ताह से 15 दिनों के भीतर उस विषय पर जांच पड़ताल कर उसका समाधान तलाशेंगे.

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पोस्टमॉर्टम को ऑनलाइन करने की पहल

उत्तराखंड पुलिस को हर स्तर पर बेहतरीन और स्मार्ट पुलिसिंग बनाने को लेकर डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पोस्टमॉर्टम को ऑनलाइन करने की भी तैयारी की जा रही है. ताकि किसी भी घटना में पोस्टमॉर्टम सार्वजनिक ना होने के कारण कई तरह की न्याय प्रक्रिया में बाधाएं ना आएं.

बेहतर पुलिसिंग के विषय पर कार्य किया जायेगा: डीजीपी

डीजीपी अशोक कुमार ने इस बात के भी संकेत दिए कि शासन से समन्वय बनाकर उत्तराखंड के पुलिस कर्मियों के लिए जो भी बेस्ट हो सकेगा, उसके लिए लगातार प्रयास किए जाएंगे. ऐसे में कुछ समय के दरमियान पुलिस के तीन से चार अहम विषय का परिणाम भी सामने नजर आएगा. इतना ही नहीं मुख्यालय स्तर पर गठित की गई 6 समितियां के प्रस्ताव अनुसार भी समय-समय पर बेहतर पुलिसिंग के विषय पर कार्य किया जायेगा.

देश की स्मार्ट पुलिसिंग सूची में उत्तराखंड पुलिस को लाने का लक्ष्य: डीजीपी

नवनियुक्त डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस को स्मार्ट व हाईटेक करने की दिशा में हर संभव प्रयास किए जाएंगे. इसके लिए गठित की गई समितियां लगातार इसकी संभावनाओं को तलाशेंगी. आधुनिक हथियार, वाहनों, साइबर एक्सपर्ट, आईटी की नई टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक तकनीक जैसे सभी तरह के महत्वपूर्ण विषयों पर उत्तराखंड पुलिस के आधुनिकीकरण पर लगातार जोड़ दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारा टारगेट यह रहेगा कि उत्तराखंड पुलिस देश की सबसे स्मार्ट पुलिसिंग की सूची में आए.

पहाड़ी इलाकों में तैनात पुलिस कर्मियों का कार्यकाल घटाया जाएगा

उत्तराखंड राज्य में पहाड़ी और दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में तैनात पुलिस की समस्या को देखते हुए उनके तैनाती का कार्यकाल घटाने पर भी डीजीपी अशोक कुमार ने जोर दिया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मैदानी क्षेत्र में किसी इंस्पेक्टर का कार्यकाल (Tenure) 16 वर्ष का तय रहता है, उसको पहाड़ में घटाकर 10 से 12 वर्ष किया जाना आवश्यक है. वहीं, जिस सब इंस्पेक्टर का मैदानी क्षेत्र में 8 साल का कार्यकाल है, उसकी तुलना में पहाड़ी इलाके में तैनात सब इंस्पेक्टर का कार्यकाल 4 से 6 वर्ष किया जा सकता है. ताकि उसको राहत देते हुए मैदानी इलाकों में तैनात किया जा सके. इस व्यवस्था के लिए मुख्यालय स्तर पर गठित की गई कमेटी एक पॉलिसी तैयार करेगी जिसे व्यवस्थित तरीके से हर हाल में धरातल पर लागू किया जाएगा.

Last Updated : Dec 1, 2020, 12:10 PM IST

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