देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में कमजोर संगठन (Congress weak organization in Uttarakhand)) हमेशा ही पार्टी की सबसे बड़ी मुसीबत रहा है. यहां प्रदेश अध्यक्ष स्तर पर अपनी टीम गठित करना सबसे बड़ी चुनौती होता है. शायद यही कारण है कि राज्य में पार्टी साल भर के अंदर अब तक दो प्रदेश अध्यक्ष बदल चुकी है. इसके बावजूद प्रदेश की कार्यकारिणी (uttarakhand congress executive) का अब तक नए सिरे से गठन नहीं किया जा सका है. स्थिति यह है कि उत्तराखंड कांग्रेस में अब भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह (Former Congress State President Pritam Singh) के कार्यकाल की कार्यकारिणी ही काम कर रही है.
कांग्रेस में गुटबाजी करते कई खेमे हमेशा पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत रहे हैं. हालात यह हैं कि पार्टी के भीतर छोटे से छोटा निर्णय करना भी काफी मुश्किल होता है. यहां पार्टी के नेता बड़े पद को पाने के बाद भी खुले रूप से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पाते. ऐसा ही कुछ उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले नेताओं के साथ भी होता है. ताजा उदाहरण उत्तराखंड में प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर है. जिसे मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी नहीं बना पाए.
नई कार्यकारिणी बनाने में कमजोर दिखाई दिये प्रदेश अध्यक्ष स्थिति यह है कि करण माहरा, प्रीतम सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान बनाई गई कार्यकारिणी से ही काम ले रहे हैं. करण माहरा को करीब 3 महीने प्रदेश अध्यक्ष बने हो चुके हैं, लेकिन अब तक कार्यकारिणी गठन को लेकर दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं है. इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने करण माहरा से बात की तो उन्होंने कहा फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान की प्रक्रिया गतिमान है. इसके बाद चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. ऐसे में प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के लिए फिलहाल कुछ वक्त रुकना होगा.
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बता दें राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद संबंधित नेताओं द्वारा अपनी कार्यकारिणी बनाई जा सकती है. हालांकि इसके लिए पार्टी हाईकमान से प्रदेश अध्यक्ष को इजाजत लेनी जरूरी है. भले ही राज्य में स्वच्छता अभियान और चुनाव की प्रक्रिया गतिमान हो लेकिन यदि पार्टी हाईकमान का इशारा मिल जाए तो करण माहरा अपनी कार्यकारिणी गठित कर सकते थे. मामला यहीं तक नहीं है. इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे गणेश गोदियाल भी 6 महीने तक इस पद को संभालते दिखाई दिए, लेकिन उन्होंने भी पहले की कार्यकारिणी को नहीं छेड़ा.
इस मामले पर पार्टी के नेता मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि यह बात सही है कि प्रीतम सिंह के समय की कार्यकारिणी ही काम कर रही है, लेकिन अब जल्द ही नई कार्यकारिणी गठित कर दी जाएगी. मथुरा दत्त जोशी ने भी कार्यकारिणी अब तक गठित नहीं होने को लेकर कई तर्क रखे. उन्होंने संगठन में चल रही चुनाव प्रक्रिया को इसकी वजह बताया.
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कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रीतम सिंह साल 2017 से 2021 के बीच प्रदेश अध्यक्ष रहे. चौंकाने वाली बात यह है कि प्रीतम सिंह भी अपने कार्यकारिणी को करीब 3 साल बीतने के बाद गठित कर पाए थे. इस दौरान वे किशोर उपाध्याय के कार्यकाल के दौरान की कार्यकारिणी के ही भरोसे रहे. जबकि इसके बाद गणेश गोदियाल को पार्टी हाईकमान से फ्री हैंड न मिलने और चुनाव नजदीक होने के कारण वह कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए. उधर करण माहरा के सामने तमाम गुटों के नेताओं को साधने के साथ कार्यकारिणी में शामिल करना बड़ी चुनौती है. हैरत की बात यह है कि उत्तराखंड में भाजपा के मजबूत संगठन को भांपने के बावजूद भी कांग्रेस अपने संगठन की मजबूती को लेकर लापरवाह बनी हुई है. पुरानी कार्यकारिणी से काम लेना काफी मुश्किल हो जाता है.